अधिकारी को ज्ञापन सौंपते शिवसेना के कार्यकर्ता (फोटो नवभारत)
Bhandara News In Hindi: भंडारा जिले के ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों की लंबे समय से चली आ रही शिकायतें एक बार फिर सच साबित हुईं। स्थानीय ग्रामीण अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और लापरवाही ने दो जिंदगियां छीन लीं। आसोला निवासी रीना विवेक शहारे (25) ने प्रसूति के बाद नवजात को जन्म दिया, लेकिन थोड़ी ही देर में मां और शिशु दोनों की मृत्यु हो गई। इस घटना से पूरे तहसील क्षेत्र में शोक और आक्रोश का माहौल है।
ग्रामीणों का कहना है कि अस्पताल में समय पर उचित उपचार और सुविधाएं उपलब्ध होती तो यह हादसा टल सकता था। नागरिकों ने स्वास्थ्य विभाग से त्वरित कार्रवाई और जिम्मेदारों पर कठोर कदम उठाने की मांग की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीड़िता को 18 अगस्त को प्रसूति के लिए लाखांदुर के ग्रामीण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां डॉक्टरों ने आवश्यक दवाइयों और इलाज की प्रक्रिया शुरू की। अगले ही दिन 19 अगस्त की सुबह महिला ने एक शिशु को जन्म दिया। किंतु प्रसूति के कुछ ही समय बाद नवजात की अज्ञात कारणों से मृत्यु हो गई।
दूसरी ओर प्रसूति के बाद महिला की हालत गंभीर बताई गई। उसे तत्काल आगे के इलाज के लिए जिला अस्पताल रेफर किया गया। लेकिन दुर्भाग्य से जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में उसकी भी मृत्यु हो गई। इस घटना ने नागरिकों में तीव्र आक्रोश फैलाया है।
लोगों का कहना है कि यदि लाखांदुर के ग्रामीण अस्पताल में आधुनिक सुविधाएं और विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध होते तो संभवतः यह दर्दनाक घटना टाली जा सकती थी। यहां लंबे समय से ब्लड बैंक, ऑपरेशन थिएटर तथा अन्य आवश्यक स्वास्थ्य उपकरणों की कमी बताई जाती रही है। नतीजतन गंभीर मरीजों को हमेशा बाहर रेफर किया जाता है, जिससे कई बार रास्ते में ही उनकी जान चली जाती है।
उल्लेखनीय है कि लाखांदुर तहसील के नागरिक वर्षों से उपजिला अस्पताल की मंजूरी की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। नागरिकों का आरोप है कि सुविधाओं के अभाव के कारण गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
निजी अस्पतालों का खर्च उठाना सभी के लिए संभव नहीं होता। यही वजह रही कि रीना शहारे को भी सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन इलाज की अपर्याप्त व्यवस्था ने उसकी और नवजात की जान ले ली।
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इस दुखद घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपेक्षा कितनी घातक साबित हो सकती है। अब यह देखना शेष है कि सरकार इस ओर कब और कितना गंभीर कदम उठाती है।
इस घटना के बाद शिवसेना (शिंदे गुट) के तहसील पदाधिकारियों ने नाराजगी जताते हुए तहसीलदार वैभव पवार के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में अस्पताल के स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही को नवजात और माता की मृत्यु का कारण बताया गया है।
साथ ही दोषी डॉक्टरों और कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। ज्ञापन सौंपते समय शिवसेना (शिंदे) गुट के तहसील पदाधिकारी अरविंद बनकर, प्रकाश राउत, जितेंद्र ढोरे, बालू रणदिवे, गोवर्धन गहाणे, चंद्रभान वानखेडे समेत अन्य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।