प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Dengue And Malaria Cases In Bhandara: भंडारा जिले में जनवरी से सितंबर 2025 के बीच मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू, चंडीपुरा और जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए 3,35,430 रक्त नमूनों की जांच की गई। इनमें मलेरिया के 17 और चिकनगुनिया के 16 यानी कुल 33 संक्रमित मरीज पाए गए। इस अवधि में पवनी तहसील के शिरसाला गांव में मलेरिया से एक मरीज की मृत्यु भी हुई।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, इस अवधि में 3,33,849 मलेरिया जांचें की गईं, जिनमें 17 नमूने पॉजिटिव पाए गए। डेंगू के लिए 1,495 नमूनों की जांच में 16 मरीज संक्रमित मिले।
चिकनगुनिया के 72, चंडीपुरा के 7 और जापानी इंसेफेलाइटिस के 7 नमूने लिए गए, लेकिन इनमें कोई भी मरीज संक्रमित नहीं पाया गया। फिलहाल जिले में डेंगू और मलेरिया नियंत्रण के लिए गहन उपाय जारी हैं।
मलेरिया का शीघ्र निदान हो सके, इसके लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को रैपिड डायग्नोस्टिक किट उपलब्ध कराई गई हैं। पुरुष और महिला स्वास्थ्य कर्मी तथा आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर रक्त के नमूने एकत्र कर प्रयोगशाला में जांच कर रहे हैं। संक्रमित मरीजों को परजीवी के प्रकार के अनुसार 3 से 14 दिनों का पूरा इलाज दिया जा रहा है और उसके बाद फॉलो-अप जांच की जा रही है।
जिले में स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा कीटविज्ञान सर्वेक्षण चलाया जा रहा है। जहां डेंगू मच्छर के लार्वा पाए जाते हैं, वहां पानी के स्रोत खाली कर टेमीफॉस द्रव डाला जा रहा है। साथ ही गप्पी मछलियों को छोड़ा जा रहा है, जो मच्छरों के लार्वा को खाती हैं।
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ग्राम पंचायतों को गांव और आसपास के मच्छर उत्पत्ति स्थलों को नष्ट करने के निर्देश दिए गए हैं। गोबरखत के गड्ढों पर लिंडेन और मलेथियान पाउडर का छिड़काव तथा नालों में जमा पानी की निकासी की विशेष मोहीम भी चलाई जा रही है।
भंडारा जिले के 33 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 17 केंद्र गोंदिया, गडचिरोली और चंद्रपुर सीमाक्षेत्रों के पास हैं। इन परिसरों से बड़ी संख्या में मजदूर तेंदूपत्ता संग्रह, गन्ना कटाई और निर्माण कार्यों के लिए अन्य जगहों पर जाते हैं। इन प्रवासी मजदूरों के आरडीके (रैपिड डायग्नोस्टिक किट) से रक्त परीक्षण किए जा रहे हैं और संक्रमित मिलने पर तुरंत इलाज दिया जा रहा है।
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. शंकर कैकाडे ने बताया कि भंडारा जिले में मलेरिया और डेंगू नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने लगातार और बहुआयामी उपाय किए हैं। निदान, रोकथाम और जनजागृति इन तीनों स्तरों पर सक्रिय कार्रवाई के कारण संक्रमण पर नियंत्रण पाने में सफलता मिली है।