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कीट प्रकोप ने उड़ाई किसानों की नींद, भंडारा में धान, मिर्च, तुअर, कपास और सब्जियां प्रभावित

Bhandara News: भंडारा जिले में धान, मिर्च, तुअर, कपास और सोयाबीन पर रोग व कीटों का प्रकोप बढ़ा है। किसान दवा छिड़काव के बावजूद फसल बचाने में जूझ रहे हैं, जिससे खरीफ सीजन पर संकट गहरा गया।

  • By आकाश मसने
Updated On: Sep 15, 2025 | 12:05 PM

धान की फसल पर रोग (सोर्स: सोशल मीडिया)

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Bhandara kharif Crops Disease: आसमान में लगातार बने हुए बादलों और बदलते मौसम ने खरीफ सीजन की फसलों पर संकट खड़ा कर दिया है। भंडारा जिले में धान की फसल पर खोडकिडा, करपा और कडाकरपा रोग का प्रकोप बढ़ रहा है, वहीं मिर्च की फसल पर चुड्या रोग फैल चुका है। तुअर की फसल अल्प प्रमाण में पत्ते लपेटने वाली इल्ली के हमले से प्रभावित है, जबकि कपास रस शोषक इल्ली की चपेट में आ गई है।

सोयाबीन पर अल्प प्रमाण में ऊंट इल्ली,पत्ते खाने वाली इल्ली, चक्रीभुंगा, खोडकीडा, सफेद मक्खी का प्रभाव नजर आ रहा है। सब्जियों की कुछ फसलों में रस शोषक इल्ली देखी जा रही है। इन रोगों के चलते किसान अपने खेतों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन महंगी दवाओं के छिड़काव के बावजूद रोग नियंत्रण में नहीं आ पा रहे हैं।

जुलाई और अगस्त में हुई लगातार बारिश ने पहले ही खरीफ की फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचाया। बारिश थमने के बाद जब फसलें संभलने लगीं तो जंगलों से निकलकर आए तृणभक्षी वन्यप्राणियों, खासकर जंगली सूअरों ने खेतों को बर्बाद कर दिया।

अब जब फसलें अच्छी बढ़त पर थीं, तभी रोगों ने उन्हें जकड़ लिया है। धान, तुअर और कपास के साथ ही फली, बैगन, पोपट और मिर्च और हरी सब्जियां भी रोगों की चपेट में हैं। किसानों का कहना है कि नई हरी मिर्च को बाजार में भाव नहीं मिल रहा, जिससे त्योहारों के मौसम में आर्थिक संकट और गहराता जा रहा है।

1,83,714 हेक्टेयर में बोया धान

भंडारा जिले में इस साल 1,74,985 हेक्टेयर में धान की बुआई करने की योजना कृषि विभाग ने बनाई थी। प्रत्यक्ष में 1,83,714 हेक्टेयर में धान की बुआई की गई।

तहसीलवार बुआई के आकड़ें

तहसील अनुमानित बुआई (हे.) प्रत्यक्ष बुआई (हे.) प्रतिशत (%)
भंडारा 25,633 26,520 108%
मोहाड़ी 28,740 33,016 115%
तुमसर 25,640 27,917 109%
पवनी 28,082 29,043 103%
साकोली 18,476 18,587 105%
लाखनी 22,388 22,338 101%
लाखांदुर 26,026 26,293 102%

सोयाबीन की उपज होगी कम

सोयाबीन का सामान्य बुआई क्षेत्र जिले में 760 हेक्टेयर है लेकिन इस बार केवल 457 हेक्टेयर में बुआई हुई है। मसलन की इस बार पिछले साल की तुलना में सोयाबीन की उपज कम होगी। फिलहाल फली भरने और फूल लगने की अवस्था है। तुअर खेत में बांध पर बोई जाती है। जिले में 10,623 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल लेने योजना बनाई गई।

भंडारा में अब तक 9,334 हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। तिल्ली का बुआई क्षेत्र 271 हेक्टेयर है।उसमें से 199 हेक्टेयर में अब तक बुआई हो चुकी है। कपास का बुआई क्षेत्र 767 हेक्टेयर है।अब तक 944 हेक्टेयर में बुआई पूरी हो चुकी है।

उल्लेखनीय है कि इस बार बाढ़ आने लायक बारिश केवल एक बार हुई है जुलाई माह में अपेक्षित बारिश 189.30 मिमी आवश्यक थीं, प्रत्यक्ष में 95.80मिमी(50.60%) हुई। जुलाई में अपेक्षित बारिश 382.60 मिमी होनी चाहिए थी, लेकिन 548.4(143%) हुई।

यह भी पढ़ें:- मुंबई में मूसलधार बारिश के बीच ऑरेंज अलर्ट जारी, जानें मौसम का हाल

अगस्त माह में 387.6 मिमी की बजाए 441.20 मिमी (62.2%) दर्ज की गई। सितंबर माह में 11 तारीख तक 197.5 मिमी बारिश होनी चाहिए थी लेकिन प्रत्यक्ष में 91.8(46.5%) बारिश हुई। हालांकि 11 सितंबर के बाद हर दिन बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने भी 11 से 14 सितंबर तक बारिश की संभावना जताई थीं, जो सच साबित हुई है।

आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे किसान

महंगे कीटनाशकों और औषधियों की कीमतें किसानों की जेब पर भारी पड़ रही हैं। कृषि केंद्र संचालक उधारी पर दवाएं देने से साफ मना कर रहे हैं। ऐसे में किसान कर्ज लेकर दवाएं खरीदने को मजबूर हैं। बावजूद इसके, फसलों की स्थिति सुधरती नजर नहीं आ रही है।

किसानों ने जिला प्रशासन और कृषि विभाग से तत्काल मदद की मांग की है। उनका कहना है कि कृषि अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को उचित मार्गदर्शन दें और सरकार की ओर से मुफ्त कीटनाशक उपलब्ध कराए। तभी खरीफ सीजन की फसलों को बचाया जा सकेगा।

Bhandara kharif crops disease infestation

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Published On: Sep 15, 2025 | 12:05 PM

Topics:  

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