बुद्ध पूर्णिमा का मंगलमय उत्सव। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
भंडारा: जिले में सोमवार 12 मई को तथागत भगवान गौतम बुद्ध की जयंती अत्यंत श्रद्धा, उल्लास और शांतिपूर्ण वातावरण में मनाई जाएगी। इस पावन अवसर पर जिले के प्रमुख बुद्ध विहार, स्तूप और धम्म केंद्रों को आकर्षक रंग-रोगन, विद्युत रोशनी और फूलों से सजाया गया है।
संपूर्ण जिले में धम्ममय वातावरण अनुभव किया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में सैकड़ों स्थानों पर विशेष पूजा-अर्चना, बुद्ध वंदना, धम्म देशना, सांस्कृतिक कार्यक्रम और समाजोपयोगी उपक्रमों का आयोजन किया गया है।
भंडारा शहर समेत लाखनी, साकोली, तुमसर, मोहाड़ी, अडयाल, पवनी और ग्रामीण क्षेत्रों के बुद्ध विहार एवं स्तूप पारंपरिक सजावट, फूलों की माला और रोशनी से सुसज्जित किए गए हैं। ‘बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि’ की गूंज चारों ओर सुनाई दे रही है। सैकड़ों बौद्ध अनुयायी सफेद वस्त्र पहनकर विहारों में उपस्थित रहेंगे। सुबह के समय त्रिशरण, पंचशील पाठ, बुद्ध वंदना, ध्यान साधना और धम्म ग्रंथों का वाचन किया जाएगा। भंते संघ की उपस्थिति में धम्म देशना का आयोजन भी होगा, जिसमें समाज के विभिन्न स्तरों के लोग भाग लेंगे।
भगवान बुद्ध करुणा, अहिंसा और समता के युगदृष्टा थे। राजा शुद्धोधन के पुत्र सिद्धार्थ ने सांसारिक जीवन त्यागकर दुःख, बुढ़ापा, रोग, मृत्यु और मोक्ष की खोज में निकल पड़े। बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे ‘बुद्ध’ यानी ‘प्रबुद्ध पुरुष’ बने। उन्होंने जो ‘अष्टांगिक मार्ग’ (सम्यक दृष्टि, संकल्प, वाक, कर्म, आजीव, प्रयास, स्मृति, समाधि) बताया वह आज के समाज के लिए भी प्रकाश स्तंभ है। उन्होंने जाति, धर्म, लिंग और वर्ण के भेद से परे मानवता पर आधारित ‘धम्म’ का मार्ग दिया।
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बुद्ध का धम्म केवल धार्मिक विचार नहीं बल्कि व्यक्तिगत अनुभव और सत्य पर आधारित जीवन पद्धति है। धम्म यानी शांति, समता, करुणा, मैत्री और अहिंसा। बुद्ध ने कहा – “अप्प दीपो भव” अर्थात स्वयं का दीपक स्वयं बनो। उनका संदेश विवेकपूर्ण सोच और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करता है। बुद्ध धम्म ने अन्याय, अंधश्रद्धा, अस्पृश्यता और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाई। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने भी बुद्ध का धम्म स्वीकार कर समाज को नया मार्ग दिखाया।
12 मई को आने वाली बुद्ध जयंती को ‘बुद्ध पूर्णिमा’ कहा जाता है। इस दिन गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण तीनों घटनाएं हुई थीं, इसलिए यह दिन ‘त्रिसंधि दिवस’ के रूप में विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। अनुयायियों से इस दिन संयम, साधना, ध्यान और सेवा का पालन करने की अपेक्षा की जाती है।
जिले में बुद्ध जयंती के अवसर पर रक्तदान शिविर, ध्यान सत्र, बौद्ध ग्रंथ पाठ, धम्म गीत प्रतियोगिता, रंगोली स्पर्धा, भजन प्रस्तुति, चित्रकला और भाषण स्पर्धा, धम्म प्रश्नमंच, वृक्षारोपण, स्वास्थ्य शिविर, अन्नदान, वृद्ध सेवा कार्यक्रम और बुद्ध विचार मंच जैसे विविध उपक्रमों का आयोजन किया गया है। बुद्ध जयंती केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि समाज को आत्मनिरीक्षण, अंतर्मुखता और विवेक की प्रेरणा देने का अवसर है। यह दिन द्वेष, अहंकार, मत्सर से दूर रहकर शांति के पथ पर एक कदम बढ़ाने का संदेश देता है।