
सांकेतिक तस्वीर (सोर्स- सोशल मीडिया)
Chhatrapati Sambhajinagar News: शहर के भविष्य के पानी संकट को दूर करने के लिए बनाई गई 200 एमएलडी क्षमता वाली नई जलापूर्ति योजना नए वर्ष में पूर्ण होने के आसार हैं। योजना की बिजली पर भारी निर्भरता मनपा की आर्थिक तंगहाली और बढ़ा सकती है।
जायकवाड़ी बांध से पानी पंपिंग करने के लिए लगाए गए हाई-कैपेसिटी मोटरों का मासिक बिजली खर्च करीब 7 करोड़, 20 लाख रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। जैकवेल क्षेत्र में लगाए गए 3,700 एचपी के पंपों से प्रति घंटा 45 लाख लीटर पानी शहर में भेजा जाएगा, पर इसके लिए प्रति घंटे करीब 1 लाख रुपए की बिजली खर्च होगी।
बता दें कि पहले समय में जहां पानी होता था, लोग वहीं बसते थे। लेकिन अब इसके विपरीत जहां हम बसते हैं, वहां पानी पहुंचाना जरूरी हैं। बहुमंजिली इमारतें इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। इतना ही नहीं खेती-बाड़ी की फसलें भी प्रकृति द्वारा तय थी।
जहां पानी नहीं वहां वर्षा पोषित फसलों को साधा गया और जहां सतही पानी उपलब्ध था वहां धान गेहूं ने जगह बनाई। आज इसके विपरीत हम खेतों में पानी के लिए पाताल पहुंच गए।
नई जल योजना का लाभ शहर के साथ ही विस्तृत क्षेत्र के 35 गांवों को भी मिलेगा। इन क्षेत्रों में अधिक स्थायी व नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। बढ़ती आबादी को देखते हुए योजना बेहद जरूरी मानी जा रही है, पर भारी बिजली बिल के चलते भविष्य में मनपा को बड़ा वित्तीय भार उठाना पड़ने की बात सामने आई है।
इस आधार पर दैनिक विजली खर्च 24 लाख रुपए के हिसाब से बिजली पर प्रति माह 7 करोड़ 20 लाख रुपए खर्च होंगे। यह खर्च सिर्फ जायकवाड़ी से नक्षत्रवाड़ी तक पानी लाने पर होगा। नक्षत्रवाड़ी एमबीआर जलटंकी, फारोला जलशुद्धिकरण केंद्र व अन्य का बिजली खर्च इसमें शामिल नहीं है।
ऐसे में कुल बिजली खर्च 100 करोड़ रुपए से भी अधिक होने की संभावना सूत्रों ने जताई है। उल्लेखनीय है कि नई जल योजना के पहले चरण के ज्यादातर काम पूरे हो चुके हैं, हालांकि, कुछ तकनीकी, मैकेनिकल व कनेक्शन से जुड़े कुछ काम अभी आधे अधूरे हैं व उन्हें पूरा करने में 3 से 4 महीने का समय और लग सकता है, जायकवाड़ी से शहर तक 2,500 मिमी व्यास की मुख्य पाइपलाइन बिछाई गई है।
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यही नहीं, 1,200 मिमी व्यास की एक और पाइपलाइन भी पूर्ण की गई है। दूसरे चरण में इस लाइन के लिए 1,200 एचपी क्षमता के 4 इलेक्ट्रक पंप लगाए जाएंगे। पुरानी जल योजना में आपातकाल में पानी उठाने की क्षमता होने से इस बार अतिरिक्त क्षमता के पंप लगाने का फैसला लिया गया है।






