प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )
Patanjali Yogpeeth Hindi News: छत्रपति संभाजीनगर ‘हर मास एक उपवास’ पर आधारित अंतर्मना धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट तथा पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के संयुक्त तत्वाधान में भारत मंडपम, नई दिल्ली में द्विदिवसीय 12-13 दिसंबर को विश्वस्तरीय जनमंगल महोत्सव का भव्य और ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है।
यह अद्भुत महोत्सव तपस्वी सम्राट, साधना महोदधि, अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज के सानिध्य एवं संरक्षण में किया जा रहा है, जिसमें विशेष रूप से विश्व विख्यात योग ऋषि बाबा रामदेव भी अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे।
यह कार्यक्रम बनेगा आध्यात्मिक अनुभूतियों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अद्भुत संगम। कार्यक्रम को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है। पहले दिन 12 दिसंबर को कार्यक्रम का शुभारंभ इस युग के महावीर महा मुनि प्रसन्न सागर महाराज तथा बाबा रामदेव के सानिध्य में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी के आतिथ्य में होगा।
जिसमें केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी, भूपेंद्र यादव, दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता सहित तमाम अन्य संत और सिद्ध विभूतियां विशिष्ट अतिथियों के रूप में शामिल रहेंगे। दूसरे दिन योग और प्राणायाम पर विशेष विमर्श होगा। सिंह निष्क्रीड़ित व्रत का फल; इस व्रत के फलस्वरूप मनुष्य वज्र ऋषभ नाराच संहनन का धारक, अनन्तवीर्य से सम्पन्न, सिंह के समान निर्भय और अणिमा आदि गुणों से युक्त होता हुआ शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है।
भगवान महावीर के जीव ‘नन्दन’ मुनिराज के भाव में कनकावली, रत्नावली, मुक्तावली और सिंह निष्क्रीड़ित आदि अनेकों व्रतों का अनुष्ठान किया था। उसी प्रकार भगवान के नेमिनाथ के जीव ने भी तीर्थंकर से तृतीय भव पूर्व ‘सुप्रतिष्ठ’ मुनिराज की अवस्था में इन कनकावली आदि अनेकों व्रतों का अनुष्ठान किया था और आज तक बहुत से महापुरुष इन व्रतों का अनुष्ठान करते रहे हैं भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के 2600 वर्षों के बाद सम्मेद शिखर जी की स्वर्णभद्र कूट की पावन भूमि पर 557 दिन की सिंह निष्क्रीड़ित व्रत की कठोरतम अखण्ड मौन एकान्तवास की महासाधना करने वाले अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर महाराज के सानिध्य में व्रत के महत्व पर विशेष प्रकाश डाला जाएगा।
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जनमंगल महोत्सव का केन्द्रीय विषय भी इसलिए हर मास एक उपवास रखा गया है ताकि उपवास का हमारे भौतिक आध्यात्मिक जीवन पर जो प्रभाव पड़ता है उस पर गहराई से चिंतन हो, जिसका लाभ सभी को मिले।
तपाचार्य अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज ने सबसे कठिन उत्कृष्ट सिंह निष्क्रीडित व्रत सम्पन्न कर इतिहास रच दिया हैं। उन्होंने ये घनघोर तपस्या जनकल्याण के लिए की है। गौरतलब है कि अंतर्मना ने उत्कृष्ट सिंह निष्क्रीड़ित व्रत 557 दिन की अखण्ड मौन व्रत साधना की है जिसमें 496 उपवास और मात्र 61 पारणाएं शामिल हैं।