वरिष्ठ नागरिक निर्वाह व कल्याण अधिनियम 2007 (सौ. सोशल मीडिया )
Chhatrapati Sambhaji Nagar News In Hindi: माता-पिता बेहद कष्ट सहकर बच्चों को शिक्षित व संस्कारित करते हैं, पर बड़े होने के बाद यही बच्चे उनकी उपेक्षा कर दर-दर की ठोकरे खाने मजबूर करते हैं। संपत्ति तक से उन्हें बेदखल कर दिया जाता है।
ऐसे ही एक मामले में अदालत ने मां की उपेक्षा करने वाले बेटे को सबक सिखाते हुए शहर स्थित राहुल नगर का घर उपेक्षित जीवन जी रही वृद्ध मां के नाम पर करने का आदेश दिया है। उपविभागीय दंडाधिकारी व वरिष्ठ नागरिक निर्वाह न्यायाधिकरण के अध्यक्ष व्यंकट राठौड़ ने माता-पिता व वरिष्ठ नागरिक निर्वाह व कल्याण अधिनियम 2007 के कानून के तहत यह फैसला सुनाने पर 65 वृद्धा की आंखें छलक पड़ीं।
अंजनाबाई (परिवर्तित नाम) ने वर्ष 2004 में भाई से 75,000 रुपए लेकर रेलवे स्टेशन रोड क्षेत्र के राहुल नगर में 600 वर्ग फुट जगह सखरीदने के बाद दो कमरों का -छोटा मकान बनवाया था। सुरक्षित व सुकून से जीवन जीने का ख्वाब देख रही वृद्धा को उस समय करारा झटका लगा, जब उसका बेटा रोहन व बहू रंजना (परिवर्तित नाम) उससे उलझने लगे, मां-बेटे को रिश्ते को तार करते हुए बेटे ने न केवल गालीगलौज की, बल्कि शारीरिक रूप से परेशान भी किया।
2020 में अंजनाबाई के कान पर काटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया गया। सातारा पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। 2023 में भी गंभीर किस्म का प्रकरण दर्ज कराया गया। बावजूद इसके रोहन मां अंजनाबाई को परेशान करता रहा।
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रोहन व रंजना ने फर्जी करारनामे के जरिए अंजनाबाई के नाम पर दर्ज संपत्ति अपने नाम करवा ली व घर पर दावा ठोक घर के बाहर निकाल दिया। इसके बाद अंजनाबाई गत तीन वर्षों से कभी भाई तो कभी बहन के पास रहीं। अन्य लोगों की दया पर अश्रित रहकर ठोकरे खाई। अर्जनाबाई के पति के दूसरा विवाह रचाने से वह मधुमेह, रक्तचाप आदि बीमारियों में घिर गई। इसके बाद उसने वरिष्ठ नागरिक निर्वाह कानून 2007 के अंतर्गत आवेदन दाखिल कर जिला विधि प्राधिकरण के पास वकील की मांग की थी। सुनवाई के दौरान बेटा व बहू अनुपस्थित रहे व कोर्ट का नोटिस स्वीकारने से भी इनकार करने एकतरफा फैसला सुनाया गया। अंजनाबाई की ओर से एड। डीवी मोरे/मेश्राम ने पैरवी की।