मराठवाड़ा में बाढ़ का दृश्य (सोर्स: सोशल मीडिया)
Marathwada Floods News: दो दिन की बारिश से राहत मिलने के बाद फिर से बारिश ने कहर ढाया है। नांदेड़, हिंगोली, धाराशिव, लातूर सहित कई इलाकों में तेज बारिश के साथ जोरदार हवा भी चली है। पहले से ही भारी बारिश के कारण किसानों की स्थिति कठिन थी, अब फिर से बारिश ने भारी तबाही मचाई है।
मूसलाधार बारिश के कारण विदर्भ और मराठवाड़ा का संपर्क टूट गया है। पैनगंगा नदी में पानी का स्तर तेजी से बढ़ा है, जिससे हिंगोली-पूसद मार्ग यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। हिंगोली के कलमदूरी तहसील के मालेगांव क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति के कारण किसानों के साथ-साथ यातायात पर भी बड़ा असर पड़ा है।
कई वाहन रास्ते में फंस गए हैं। दूसरी ओर, लातूर जिले की मान्याड नदी का जलस्तर भी काफी बढ़ गया है। शेणकुडम में पुल पानी के नीचे आ जाने के कारण यातायात बंद कर दिया गया है।
बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। आगामी 48 घंटों में राज्य में फिर से मूसलाधार बारिश होने का अनुमान जताया गया है। इसी वजह से मराठवाड़ा के 4 जिलों में स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है। लातूर, धाराशिव, हिंगोली और नांदेड़ जिलों में सभी स्कूलों को छुट्टी देने का आदेश जारी किया गया है।
जिलाधिकारी ने सुरक्षा की दृष्टि से जिले के सभी स्कूलों और कॉलेजों को छुट्टी देने का निर्णय लिया है। दो दिन की राहत के बाद शनिवार को फिर से भारी बारिश ने तबाही मचाई है। अगले दो दिनों में राज्य में अत्यधिक मूसलाधार बारिश का पूर्वानुमान है। इसीलिए प्रशासन ने सतर्कता के तौर पर आज स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है।
सोलापुर जिले के लिए मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है। शनिवार से ही सोलापुर शहर में बारिश की तीव्रता बढ़ गई है। सोलापुर के साथ-साथ अहिल्यानगर और धाराशिव जिलों में भी बारिश हुई, जिससे सोलापुर जिले में एक बार फिर बाढ़ की आशंका पैदा हो गई है।
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दक्षिण सोलापुर तहसील में शनिवार सुबह से हो रही तेज बारिश के कारण उले-कासेगांव पुल एक बार फिर पानी के नीचे चला गया है। पुल पर पानी भर जाने के कारण यातायात बंद कर दिया गया है और कासेगांव का संपर्क पूरी तरह टूट गया है।
उले-कासेगांव पुल पर पानी का बहाव काफी तेज है, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होने की आशंका है। बीते कई दिनों से ग्रामीणों द्वारा यह मांग की जा रही है कि उले-कासेगांव पुल की ऊंचाई बढ़ाई जाए, ताकि बारिश के समय इस तरह की स्थिति से बचा जा सके।