एकल माताएं (सौ. सोशल मीडिया )
Good News For Single Mothers: एकल माताओं के बेटे-बेटियों को जानकारी एकत्र करने का काम शिक्षा विभाग ने हाथ में लिया है। इस संग्रहित जानकारी के आधार पर एकल माताओं के बच्चों के ‘शैक्षणिक अभिभावकत्व’ की जिम्मेदारी लेने की दिशा में राज्य सरकार का कदम बढ़ने के संकेत दिख रहे हैं।
राज्य में एकल माताओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति अत्यंत दयनीय है। ये महिलाएं मजदूरी करके अपना जीवन चलाती हैं। बच्चों का शिक्षा पूरी करने में उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसी माताओं के बच्चों की संख्या एकत्र कर उनके शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
इसी उद्देश्य से एकल माताओं के पहली से बारहवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों की संख्या का संग्रह स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे के आदेश पर किया जा रहा है। इसके लिए राज्य भर में पहली से बारहवीं तक पढ़ने वाले एकल माताओं के बच्चों की जानकारी गूगल फॉर्म के माध्यम से एकत्र की जा रही है। इस संबंध में राज्य के प्राथमिक शिक्षा संचालक ने सभी संभागीय शिक्षा उपसंचालकों, सभी जिला परिषदों के शिक्षा अधिकारियों को यह जानकारी एकत्र करने के आदेश दिए हैं।
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राज्य की सभी स्कूलों में पढ़ने वाले एकल महिलाओं (विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता आदि) के बच्चों की संख्या एकत्र करने का आदेश जारी करके शिक्षा विभाग ने एक अत्यंत संवेदनशील निर्णय लिया है। इससे एकल महिलाओं के बेटे-बेटियों की सही आंकड़े सामने आने पर शिक्षा विभाग इन बच्चों के लिए कुछ ठोस और महत्वपूर्ण निर्णय ले सकेगा।
– हेरंब कुलकर्णी, राज्य निमंत्रक, साऊ एकल महिला समिति