औरंगाबाद की गुफाएं (सौ. सोशल मीडिया )
Chhatrapati Sambhajinagar News: छठी शताब्दी में निर्मित व राष्ट्रीय स्मारक में शुमार ऐतिहासिक औरंगाबाद की गुफाओं में अवैध उत्खनन से उसका अस्तित्व खतरे में है और उस पर रोक लगाने के लिए बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ में याचिका दायर की गई है।
न्यायालय ने पहले मामले का संज्ञान लेकर स्वतः संज्ञान याचिका दायर करते हुए अधिवक्ता चंद्रकांत थोरात को न्यायमित्र नियुक्त किया है। थोरात ने याचिका प्रस्तुत कर कहा कि उन्होंने याचिका पेश कर कहा है कि गुफाएं देखने हर साल हजारों देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं।
लगातार हो रहे उत्खनन से यह क्षेत्र विकृत होने के साथ ही उसकी सुंदरता नष्ट हो रही है। अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कानून में सजा व जुर्माने का प्रावधान होने के बावजूद इसकी अनदेखी की जा रही है।
याचिका में कहा गया है कि रोजाना सैकड़ों ट्रैक्टरों के जरिए बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन से निकाले गए मुरूम की दुलाई की जाती है व उत्खनन गुफा की तलहटी तक पहुंच गया है, याचिका पर अगली सुनवाई न्या, विभा कंकनवाड़ी व न्यायमूर्ति हितेश वेणेगांवकर की पीठ के सामने होगी।
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थोरात ने कहा कि गुफा क्षेत्र में गट संख्या 29 की 38.60 हेक्टेयर भूमि पर अवैध उत्खनन हुआ है। अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कानून में सजा व जुमनि का प्रावधान होने के बावजूद अनदेखी का आरोप लगाया है। इस मामले में जिलाधिकारी, पर्यटन विभाग, राज्य सरकार, पुरातत्व विभाग के महानिदेशक, केंद्र सरकार, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पुरातत्व अधीक्षक, छत्रपति संभाजीनगर व जिला खनन अधिकारी को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि जेसीबी, पोकलेन व कभी-कभार ब्लास्टिंग के जरिए मुरूम के अवैध उत्खनन से गुफाओं का अस्तित्व खतरे में है।