घाणेवाड़ी डैम (सौ. सोशल मीडिया )
Chhatrapati Sambhaji Nagar News In Hindi: शहर के लिए वर्षों से वरदान साबित हो रहे घाणेवाड़ी जलाशय (संत गाडगेबाबा तालाब) के संरक्षण और संवर्धन व टूटे हुए जल निकासी ढांचे की स्थिति का मामला अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया है।
इस बाबत कांग्रेस सांसद कल्याण काले ने कहा कि, जलाशय की गंभीर स्थिति को लेकर नवनियुक्त जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया है। यही नहीं, अब वे सीधे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर प्रकरण की गंभीरता को सामने लाएंगे, उनका कहना रहा कि, प्रशासनिक मामलों में दबाव समूह बनाने की सख्त जरूरत है।
इसके लिए हर महीने बैठक आयोजित कर विचार-मंथन किया जाएगा और अगली रणनीति तय की जाएगी। आईसीटी कॉलेज सभागृह में 50 से अधिक सामाजिक संस्थाओं, व्यापारियों व उद्यमियों संग जल संरक्षण व पर्यावरण संरक्षण पर हाल ही में चर्चा की गई। मंथ पर महिको चेयरमैन राजेंद्र बारवाले, कलश सी के समीर आसवाल, पाणेवाड़ी जल संरक्षण मंच के रमेश भाई पटेल, कुंडलिका-साना पुनरूज्जीवन अभियान के सुनील रापठट्ठा उपस्थित थे।
सांसद काले ने कहा कि शहर और जिले में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सभी को मिलकर विभिन्न प्लेटफॉर्म पर काम करना होगा। चर्चा के दौरान जलसंरक्षण, नदी संवर्धन, जलाशय की ऊंचाई व जल निकासी ढांचे की स्थिति, पानी की कमी, हरित क्षेत्र विकास व पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। उपस्थित लोगों ने समाधान सुझाए, जिनमें प्रमुखरूप से नदी संरक्षण के लिए ब्लू और रेड लाइन मार्किंग और पौधारोपण शामिल है।
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बैठक में संवानिवृत अभियंता रघुनाथ कल्याणकर ने चेताया कि जलाशय कभी भी टूट सकता है, जलाशय की ऊंचाई छह मीटर कम ही चुकी है और जल निकासी ढांचे की हालत भी गंभीर है। रमेश भाई पटेल ने कहा कि, गाल निकालने का कार्य लगतार बल रहा है, लेकिन जल निकाली ढांचे में रित्या होने से बड़े नुकसान का खतरा है। सुनील रावदता ने कहा कि, जलाशय किसी की निजी संपति नहीं है, इसलिए इसे सक्षम अधिकारियों के पास हस्तांतरित किया जाना चाहिए, शिवरतन मुंदड़ा ने तहसील स्तर पर नदी जोड परियोजना की आवश्यकता पर जोर देते हुए चा कि, इसके जरिए सानीण क्षेत्रों में पानी की सतह बढ़ सकती है। ससंसद कल्याण काले ने कहा के समाजिक संस्थाओं का योगदान अहम है। जल संरक्षण व कृषि क्षेत्रों में नियमित बैठकों के जरिए कार्यों का पालन किया जाधगा, उन्होंने कहा कि ढांचे की मरम्मत न होने पर बड़ा खतरा है।