
प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )
Sambhajinagar Rabies Awareness News: छत्रपति संभाजीनगर रेबीज एक जानलेवा वायरस जनित बीमारी है, जो गर्म रक्त वाले स्तनधारी प्राणियों को संक्रमित करती है। चाहे पालतू जानवर हों या आवारा पशु, रेबीज से बचाव के लिए सतर्कता और समय पर उपाय ही सबसे प्रभावी समाधान हैं।
यह प्रतिपादन घाटी अस्पताल के डॉक्टरों ने रेबीज जागरूकता और प्राथमिक उपचार कार्यशाला में किया। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में शनिवार को रेबीज और कुत्ते के काटने से संबंधित जागरूकता तथा प्राथमिक उपचार विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय एवं अस्पताल घाटी के सहयोग से महात्मा फुले सभागृह में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में घाटी अस्पताल के मार्गदर्शक डॉ. उदय जोशी और डॉ. श्वेता देशमुख ने रेबीज के खतरे और उससे बचाव के उपायों पर विस्तार से जानकारी दी।
मंच पर विद्यार्थी विकास निदेशक डॉ. कैलास अंभुरे, चिकित्सा अधिकारी डॉ. आनंद सोमवंशी, राष्ट्रीय सेवा योजना निदेशक सोमनाथ खाडे और डॉ. संजय शिंदे उपस्थित थे। डॉ. श्वेता देशमुख ने बताया कि रेबीज प्रायः बिना टीकाकरण वाले संक्रमित कुत्ते के काटने से फैलता है।
वायरस कुत्ते की लार के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर नसों के जरिए मस्तिष्क तक पहुंचता है और अंततः मृत्यु का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि पालतू जानवरों का नियमित टीकाकरण अत्यंत आवश्यक है। इससे न केवल जानवर सुरक्षित रहते हैं बल्कि मनुष्यों में संक्रमण का खतरा भी कम होता है।
डॉ. उदय जोशी ने कुत्ते के काटने की स्थिति में तुरंत किए जाने वाले प्राथमिक उपचार की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि काटे गए स्थान को कम से कम 15 मिनट तक बहते पानी और साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए।
इसके बाद आयोडीन या एंटीसेप्टिक से जख्म को साफ करना चाहिए। जख्म को ढकने या घरेलू उपचार करने से बचना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कुते के काटने के बाद तुरंत अस्पताल जाकर एंटी रेबीज इंजेक्शन का पूरा कोर्स लेना बेहद जरूरी है।
कार्यक्रम के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन से संबंधित जानकारी पुस्तिकाएं भी वितरित की गई। डॉ. कैलास अंभुरे ने प्रस्तावना में बताया कि यह कार्यशाला राज्य सरकार के निर्देशानुसार आयोजित की गई।
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कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय शिंदे ने किया जबकि आभार प्रदर्शन सोमनाथ खाडे ने किया, कार्यशाला के आयोजन में हरिश्चंद्र साठे, बालू इंगले, प्रमोद गुलगुले, डॉ. पल्लवी मानकर, गजानन पालकर, वैभव पहाड़े, पायल जुबेर, स्मिता पाईकराव और निर्मला खरात सहित अन्य सहयोगियों ने योगदान दिया। कार्यक्रम में कर्मचारी, विद्यार्थी और सुरक्षा कर्मियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।






