नाबालिग पर मामला दर्ज। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
अमरावती: अमरावती शहर के गाडगेनगर थाना क्षेत्र में एक 16 वर्षीय किशोरी की आत्महत्या की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। परिजनों के अनुसार, किशोरी बीते कुछ दिनों से मानसिक तनाव से जूझ रही थी। इसी के चलते 28 मई की रात उसने घर में फांसी लगाकर अपना जीवन समाप्त कर लिया। अगले दिन की गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ वह काफी चौकाने वाला था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पाया गया कि किशोरी लगभग एक माह की गर्भवती थी। इस आधार पर परिजनों ने एक 17 वर्षीय नाबालिग के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई, जिस पर पुलिस ने बलात्कार, पोक्सो अधिनियम और आत्महत्या के लिए उकसाने जैसी धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध किया है।
किशोरी की मां ने पुलिस को बताया कि घटना वाले दिन, यानी 28 मई की शाम, वह कैटरिंग के काम से एक स्थानीय लॉन में गई हुई थीं। रात करीब 8 बजे बेटी ने उन्हें फोन कर सूचित किया कि एक पड़ोसी महिला, जो आरोपी की मां है, उसने उसे अपने घर बुलाया है, इसलिए वह वहां जा रही है। कुछ समय बाद जब परिजन घर लौटे, तो किशोरी बाथरूम में फंदे से लटकी हुई मिली। तुरंत उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
29 मई को हुए शव परीक्षण में यह तथ्य सामने आया कि किशोरी गर्भवती थी। यह जानकारी मिलते ही परिजनों ने पुलिस को दी गई शिकायत में आरोप लगाया कि एक 17 वर्षीय किशोर किशोरी पर लगातार मानसिक दबाव बना रहा था और जबरन बातचीत तथा शारीरिक संबंधों के लिए मजबूर करता था। परिजनों का यह भी कहना है कि कुछ दिन पूर्व ही उन्होंने आरोपी को इस विषय में समझाइश दी थी, लेकिन बात नहीं मानी गई।
पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई है कि आरोपी किशोर मृतक का और उसके परिवार का परिचित था। दोनों के बीच पहले से जान-पहचान थी, लेकिन हाल के दिनों में रिश्तों में तनाव की स्थिति बन गई थी। परिजनों का कहना है कि किशोरी इस पूरे घटनाक्रम को लेकर काफी परेशान थी, लेकिन उसने अपने भीतर चल रही पीड़ा किसी से साझा नहीं की।
गाडगेनगर पुलिस ने किशोरी की मां की शिकायत के आधार पर आरोपी किशोर के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), धारा 305 (आत्महत्या के लिए प्रेरित करना), और पोक्सो अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है। चूंकि आरोपी नाबालिग है, अतः उसे विधि संघर्षरत बालक के रूप में चिह्नित करते हुए बाल सुधार गृह भेजे जाने की प्रक्रिया की जा रही है। थाना प्रभारी के अनुसार, मामले की जांच गंभीरता और संवेदनशीलता से की जा रही है।
यह घटना किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य, यौन जागरूकता और संवाद की कमी की ओर इशारा करती है। मनोवैज्ञानिकों और सामाजिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में परिवार, विद्यालय और समाज को सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता है। समय पर उचित संवाद और मार्गदर्शन मिलने से कई गंभीर कदम रोके जा सकते हैं।