जयस्तंभ (सौ. सोशल मीडिया )
Dhaarni News In Hindi: धारणी शहर के हृदय स्थल पर खड़ा ऐतिहासिक जयस्तंभ स्वतंत्रता संग्राम की यादों और बलिदानियों के गौरव का प्रतीक है। जो आज अपनी बदहाली की दास्तान खुद बयां कर रहा है। आज़ादी की स्मृति में बने इस प्रतीक पर वर्षों से मरम्मत और सौंदर्यीकरण के नाम पर लाखों रुपये खर्च होने के दावे किए गए, लेकिन हकीकत यह है कि स्तंभ दिन-ब-दिन खंडहर में बदलता जा रहा है।
लोगों का कहना है कि नगर पंचायत के लिए जयस्तंभ सिर्फ एक फाइल का आंकड़ा बनकर रह गया है। मरम्मत कार्य हर साल कागजों में पूरे दिखा दिए जाते हैं, मगर जमीन पर बदलाव शून्य है। स्थानीय नागरिकों का कटाक्ष है कि अब तक जितना पैसा खर्च हुआ, उससे तो 3 नए संगमरमर के स्तंभ खड़े हो सकते थे।
जयस्तंभ चौक जहां पुलिस स्टेशन, नगर पंचायत, विद्यालय, डाकघर और भूमि अभिलेख कार्यालय स्थित हैं, धारणी की पहचान माना जाता है। लेकिन इसकी उपेक्षित स्थिति ने चौक की शान को दागदार बना दिया है। चौक पर पहुंचने वाले नागरिकों को अब गौरव की जगह बेबसी और पीड़ा का अहसास होता है।
जयस्तंभ के निकट ही भगवान बिरसा मुंडा की नई प्रतिमा और समाज भवन का निर्माण हुआ है। लोगों को उम्मीद थी कि इसके साथ जयस्तंभ का भी कायाकल्प होगा, पर यह सपना भी अधूरा रह गया।
विकास कार्यों के नाम पर खोखले वादे, अधूरी योजनाएं और राजनीतिक स्वार्थों की नीति यही नगर पंचायत की कार्यशैली बन चुकी है। शहरवासी तंज कसते हैं कि नगर पंचायत अभी भी ग्राम पंचायत जैसी मानसिकता से चल रही है।
ये भी पढ़ें :- एचएसएनपी नंबरप्लेट पर कालाबाज़ारी! नंबरप्लेट एजेंटों पर लूटखसोट की शिकायत दर्ज
जयस्तंभ केवल पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि धारणी के आत्मसम्मान और इतिहास का प्रतीक है। इसकी बदहाली इस बात की गवाही देती है कि आज़ादी की धरोहर को हम संभाल नहीं पाए। अब सवाल यह है कि क्या शहरवासी चुपचाप इस प्रतीक को मिट्टी में मिलते देखेंगे, या फिर एकजुट होकर इसके पुनर्जीवन की मुहिम छेड़ेंगे?यह सवाल खड़ा होता नजर आ रहा है।