सुपर स्पेशेलिटि (सौजन्य-नवभारत)
Amravati News: सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पहली कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक की गई। मरीज सिर्फ साढ़े चार साल का है और अमरावती का निवासी है। मरीज के दो साल का होने पर, उसके माता-पिता ने देखा कि वह सुन या बोल नहीं सकता। मरीज ने कई उपचार करवाए। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
अमरावती के ऑडियोलॉजिस्ट और स्पीच थेरेपिस्ट श्री लक्ष्मण मोरे ने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, नागपुर के जाने-माने कॉक्लियर इम्प्लांट विशेषज्ञ, डॉ. जीवन वेदी, विभागाध्यक्ष कान, नाक, गला के साथ संपर्क बनाए रखा और मरीज को उचित उपचार दिलाने में मदद की। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अमोल नरोटे और विशेष कार्य अधिकारी डॉ. मंगेश मेंढे से संपर्क करने के बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
उसके बाद, डॉ. मंगेश मेंढे कान, नाक और गले के विशेषज्ञ, डॉ. ऋषिकेश नागलकर शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ. श्रद्धा हरकन, मनोवैज्ञानिक, डीईआईसी ने रोगी का निरंतर चिकित्सा रिकॉर्ड लिया। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के तहत महाराष्ट्र में पहली सर्जरी है, जो कि स्थानीय सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में मुफ्त में की गई थी, जो एक निजी अस्पताल में किए जाने पर एक कान की सर्जरी के लिए 10 लाख तक का खर्च होता है।
यह सर्जरी गंभीर श्रवण हानि वाले बच्चों के लिए की जाती है। यह एक अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स तकनीक है, इसमें कान के अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगाया जाता है, जो मस्तिष्क में तंत्रिका के संपर्क में आता है, ताकि बहरा व्यक्ति आवाज सुन सके।
इस सर्जरी के कारण जन्मजात श्रवण दोष वाले बच्चों की भाषा और भाषण का विकास एक सामान्य बच्चे की तरह हो जाता है और वे भाषण चिकित्सा के साथ कम से कम दो साल बाद मुख्यधारा में आते हैं। महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना के तहत 2 साल से कम उम्र के बच्चों पर यह सर्जरी की जाती है, लेकिन चूंकि बच्चा साढ़े चार साल का है, इसलिए यह सर्जरी योजना के दायरे में नहीं आ रही थी, इसलिए जिला योजना समिति के फंड से यह सर्जरी की गई।
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सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अमोल नरोटे और विशेष कर्तव्य अधिकारी डॉ. मंगेश मेंढे के मार्गदर्शन में यह सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी हुई। सर्जरी को सफल बनाने वाले नाक, कान और गला विशेषज्ञ डॉ. जीवन वेदी, डॉ. मंगेश मेंढे, बहरापन विशेषज्ञ डॉ. बालकृष्ण बागवाले, डॉ. दीपाली देशमुख, डॉ. शीतल सोलंके, डॉ. अश्विनी मडावी, डॉ. रमणिका, डॉ. उज्ज्वला मोहोड, समाज सेवा अधीक्षक शीतल बोंडे, ऋषिकेश धस, मेडिसिन विभाग के योगेश वाडेकर, नीलेश ठाकरे, हेमंत बंसोड़, मुकेश पोलकर, सूरज चोरपगार, मैट्रन चंदा शामिल थे। प्रभारी दीपाली देशमुख के निर्देशानुसार खोडके, माला सुरपम, वैशाली नागराले, अलका मोहल, नीलिमा तायडे, मनीषा रामटेके सह अन्यो का बहुमूल्य योगदान रहा।