सीजेआई बीआर गवई (सोर्स: सोशल मीडिया)
CJI Gavai Attack News: सोमवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण आर गवई पर हमले का प्रयास किया गया। वकील राकेश किशोर ने सुनवाई के समय मंच के पास जाकर सीजेआई गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया। लेकिन सतर्क सुरक्षा कर्मियों ने समय रहते उसे रोक लिया। इस घटना का देशभर में विरोध हो रहा है।
एक ओर खुद सीजेआई द्वारा ऐसी घटना को देखकर विचलित न होने तथा उन्हें ऐसी घटना से कोई फर्क न पड़ने की बात की जा रही तो दूसरी ओर लोगों ने इस मामले में भारत के संविधान में सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति पर किया गया यह हमला एक विकृत मानसिकता का परिचायक और पूरी तरह से निंदनीय करार दिया।
इस घटना से सीजेआई गवई के गृह जिले अमरावती के लोगों में गुस्सा भर गया है और इसका जमकर विरोध किया जा रहा है। अमरावती की पूर्व सांसद नवनीत राणा व बडनेरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक रवि राणा ने भी इस कायराना हमले का विरोध किया।
अमरावती सांसद बलवंत वानखड़े ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय परिसर में देश के मुख्य न्यायाधीश पर हमला, यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि देश के संवैधानिक पद की गरिमा पर हमला है। इसे देश की जनता कभी सहन नहीं करेगी। आने वाले समय में जनता इसका सटीक जवाब देगी। न्यायाधीश भूषण गवई की सम्पूर्ण सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को लेनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
अमरावती विधायक सुलभा संजय खोडके ने कहा कि न्यायमूर्ति भूषण गवई केवल अमरावती के गौरव नहीं, बल्कि पूरे देश के मुख्य न्यायाधीश हैं। उनके पद की गरिमा और प्रतिष्ठा की रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था में इस प्रकार का प्रयास न केवल निंदनीय है, बल्कि इसकी गंभीरता से जांच भी होनी चाहिए।
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव किशोर बोरकर ने कहा कि न्यायपालिका पर दबाव डालने के ऐसे प्रयास लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के लिए खतरनाक हैं। एक सुदृढ़ लोकतंत्र के लिए न्यायालय का सम्मान और न्यायाधीशों की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है, जिस पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए।
केंद्र सरकार को इस मामले में न्यायाधीशों का अपमान करने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए और ऐसी घटनाओं को दोबारा न होने देने के लिए सुरक्षा उपायों को और मजबूत बनाना होगा। यह हमला लोकतंत्र के मूल्यों पर हमला है। घटना देश के संविधान को ठेस पहुंचाने वाली अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।
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उमेश इंगले ने कहा कि सीजेआई जैसे उच्च संवैधानिक पद पर आसीन न्यायाधीश को लक्ष्य बनाकर, उनकी एकाग्रता भंग करने के उद्देश्य से यह कृत्य किया गया है। इस हमले के पीछे छुपी जातिवादी मानसिकता को उजागर किया जाना चाहिए।
ऐसे जातिवादी वकीलों की वकालत की सनद तत्काल रद्द की जानी चाहिए और उन पर भारतीय दंड संहिता की कड़ी धाराओं, विशेष रूप से ‘देशद्रोह’ के अंतर्गत मामला दर्ज किया जाना चाहिए, क्योंकि यह संविधानिक व्यवस्था पर सीधा हमला है।
सामाजिक कार्यकर्ता तनवीर आलम न्याज अली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर सुनवाई के दौरान उनकी ओर बूट निकालकर फेंकना यह घृणास्पद व असामाजिक कार्य है। ऐसे लोग जाति-जाति में भेद फैलाने व धर्म द्वेष भड़काने का कार्य कर रहे हैं। जिसका अमरावतीवासी निषेध कर रहे हैं।