अमरावती कलेक्टर आशीष येरेकर और जिला परिषद की सीईओ संजिता महापात्र (फोटो नवभारत)
Child Marriage Free Amravati District Campaign: अमरावती जिले में बाल विवाह पर पूरी तरह अंकुश लगाने के उद्देश्य से प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। आगामी 1 जनवरी से जिले में ‘बाल विवाह मुक्त जिला अभियान’लागू किया जाएगा। अभियान के अंतर्गत सरपंच, पुलिस पाटिल और आशा सेविकाओं पर बाल विवाह रोकने की सीधी जिम्मेदारी तय की गई है। यदि किसी गांव में बाल विवाह होता है तो संबंधित पुलिस पाटिल से उसके लाइसेंस नवीनीकरण के समय जवाब-तलब किया जाएगा। यह चेतावनी जिलाधिकारी आशीष येरेकर और जिला परिषद की मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजिता महापात्र ने दी।
अमरावती कलेक्टर आशीष येरेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बाल विवाह से उत्पन्न होने वाली सामाजिक, शैक्षणिक और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं को देखते हुए सूक्ष्म स्तर पर नियोजन किया जा रहा है। आगे चलकर बाल विवाह की जानकारी को छिपाया नहीं जा सकेगा। गांव स्तर पर सरपंच और आशा सेविकाओं की सक्रिय भूमिका अनिवार्य रहेगी।
बाल विवाह प्रतिबंध के लिए 3 जनवरी और 14 नवंबर को अमरावती जिले की सभी स्कूलों और शासकीय कार्यालयों में बाल विवाह विरोधी शपथ का वाचन किया जाएगा। इसके अलावा दिसंबर माह में जिले के सभी सरपंचों और ग्राम पंचायत अधिकारियों के लिए जिलास्तरीय कार्यशाला आयोजित की जाएगी, जिसमें सूक्ष्म नियोजन पर विशेष जोर दिया जाएगा।
यह भी पढ़ें:- ‘भाई का काम कर दिया…’ गडकरी के मजाक पर प्रियंका गांधी की मुस्कान, संसद के दिलचस्प पल का Video Viral
अक्षय तृतीया और तुलसी विवाह जैसे शुभ मुहूर्तों पर बाल विवाह न हों, इसके लिए प्रमुख देवस्थानों और विवाह स्थलों का दौरा कर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। इसकी जिम्मेदारी ग्राम बाल संरक्षण समिति और तहसील बाल संरक्षण समिति को सौंपी गई है।
आदिवासी और दुर्गम क्षेत्रों की आश्रम शालाओं तथा जिला परिषद स्कूलों में ड्रॉपआउट का प्रमाण अधिक होने के कारण 14 से 18 वर्ष आयु वर्ग के विद्यार्थियों की गतिविधियों पर विशेष नजर रखी जाएगी। यदि कोई विद्यार्थी लगातार तीन दिन अनुपस्थित रहता है तो संबंधित मुख्याध्यापक और शिक्षकों को अभिभावकों से भेंट कर कारणों का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होगा।