कचरा उठाते और गुब्बारे बेचते बच्चे (फोटो नवभारत)
Children’s Day Special Child Beggar: सुबह मुख्य चौराहों पर वाहनों की बढ़ती चहल-पहल के साथ ही सड़कों पर बाल भिक्षुओं की संख्या भी बढ़ जाती है। आजादी के बाद भी सरकार द्वारा महिला व बाल विकास विभाग के माध्यम से इतनी योजनाओं को लागू करने के बाद भी शहर में बाल भिक्षुओं, बाल विवाह और उत्पीड़न जैसे मामलों में किसी तरह की कमी होती नहीं दिखाई दे रही है।
इसके लिए इन बच्चों के पालक व रिश्तेदार भी कुछ हद तक जिम्मेदार ठहराए जा रहे हैं। वहीं शहर में सड़कों व चौराहों पर बाल भिक्षुओं की बढ़ती संख्या के लिए घुमंतु समाज को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
सरकारी व संबंधित विभागों द्वारा जब इन पर कार्रवाई की जाती है तो ये गायब हो जाते हैं या कहें कि इन्हें इनके जिम्मेदारों द्वारा गायब कर दिया जाता है। सड़कों पर भीख मांग रहे इन बच्चों को फिर भी ‘ये बच्चे हिंदुस्तान के‘ की उपमा दी जाती है।
महाराष्ट्र के अमरावती शहर में दिवाली व अन्य शुभ अवसरों के समय सड़कों व अन्य स्थानों पर घुमंतु समाज के बाल भिक्षुओं की संख्या बढ़ जाती है। कुछ नागरिकों का यह भी कहना है कि इन बाल भिक्षुओं को बाहर राज्यों से यहां लाकर भीख मांगने मजबूर किया जाता है। मगर सटीक जानकारी या किसी तरह की शिकायत न होने से पुलिस या संबंधित विभाग किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर पाता है।
अमरावती जिले की चाइल्ड हेल्पलाइन पर वर्ष 2025 में बच्चों से संबंधित विभिन्न मुद्दों के लिए कुल मामलों की संख्या सामने आई है। जनवरी से अक्टूबर तक कई दर्जनों मामले दर्ज हुए, जिनमें बच्चों के शोषण, पारिवारिक संकट, बच्चों के भागने की घटनाएं, बाल विवाह, बाल मजदूरी, भावनात्मक सहायता और आश्रय जैसे मुद्दे शामिल हैं।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि अमरावती जिले में बच्चों की सुरक्षा, पारिवारिक तनाव और सामाजिक सेवाओं की आवश्यकता बढ़ती जा रही है, और इसके लिए सक्रिय निगरानी एवं सहायक सेवाओं की जरूरत है। जिले व शहर में संस्था व प्रशासन के आपसी समन्वय से चाइल्ड लाइन 1098 लगातार 24 घंटे सक्रिय रहता है।
बाल संरक्षण अधिकारी के अनुसार चाइल्ड लाइन बच्चों के संरक्षण, संकट निवारण और सामाजिक सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रही है। हर मामले पर समयबद्ध कार्रवाई की जाती है।
विशेष रूप से बाल संरक्षण, पारिवारिक संकट, बाल विवाह, बाल श्रम और बच्चों के लिए आश्रय सुविधाएं लगातार शीर्ष प्राथमिकताएं रही हैं। जून और जुलाई माह में मामलों की संख्या सबसे अधिक दर्ज की गई।
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अमरावती जिले में संकट में फंसे बच्चों की मदद के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 सेवा 24 घंटे, सातों दिन उपलब्ध है। इस टोल-फ्री नंबर पर कोई भी व्यक्ति या बच्चा कॉल कर सकता है और संकट में फंसे बच्चों की जानकारी दे सकता है।
अमरावती जिला बाल संरक्षण अधिकारी अजय डबले ने कहा कि हम बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हर समय तत्पर हैं। किसी भी बालक की संकट में जानकारी मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जाती है।
-अमरावती से नवभारत लाइव के लिए समीर अहमद की रिपोर्ट