
मृतक नितेश (सौजन्य-नवभारत)
Amravati News: अमरावती जिले के चांदूर रेलवे पुलिस स्टेशन की हिरासत में आरोपी नितेश मेश्राम (32, मिलिंद नगर, चांदूर रेलवे) की मौत के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। इस मामले में तत्कालीन थानेदार अजय कवदुजी अहिरकर समेत 9 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है।
अदालत के आदेश के बाद अमरावती के फ्रेजरपुरा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया और इस घटना से पूरे पुलिस बल में हड़कंप मच गया है। मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
उल्लेखनीय है कि 11 जून, 2024 को चांदूर रेलवे पुलिस ने नितेश मेश्राम को अदालती वारंट पर गिरफ्तार किया। रात में घर से उठाए जाने के बाद शहर के ग्रामीण अस्पताल में उसकी मेडिकल जांच हुई। जांच में उसकी फिटनेस ठीक पाए जाने पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि परिवार का आरोप है कि गिरफ्तारी के दौरान पुलिस द्वारा की गई पिटाई के कारण नितेश गंभीर रूप से घायल हो गया था।
11 जून को दोपहर में अदालत में पेश किए जाने के बाद, अदालत ने उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया। 13 जून, 2024 को अमरावती के जिला सामान्य अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर पर पिटाई के 16 निशान पाए गए। इसके बाद परिवार ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए लंबी लड़ाई लड़ी।
मृतक का परिवार 17 महीने से न्याय के लिए संघर्ष कर रहा था। उन्होंने ग्रामीण पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने आमरण अनशन भी किया था। 19 जुलाई, 2024 को दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई का लिखित आश्वासन मिलने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
अंततः न्यायालय के आदेशानुसार मामला दर्ज किया गया और मेश्राम परिवार का संघर्ष रंग लाया। इस मामले में थानेदार अहिरकर, पुलिसकर्मी राजकुमार जैन, विशाल रंगारी, प्रवीण मेश्राम, अलीम गवली, अमोल घोडे, प्रशांत ढोके, अश्विनी आखरे, सरिता वैद्य और तीन अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
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अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग ने इस मामले का संज्ञान लिया था। आयोग के उपाध्यक्ष एड। धर्मपाल मेश्राम 13 जनवरी को चांदूर रेलवे स्टेशन आए और मेश्राम परिवार से मिले। आयोग ने पुलिस जांच में खामियों को उजागर किया और एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की सिफ़ारिश की। इसके बाद डॉक्टरों, सुरक्षा गार्डों और इरविन अस्पताल के कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए। जांच में लापरवाही पाई गई थी, इसलिए आयोग ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
फ्रेजरपुरा पुलिस द्वारा दर्ज की गई यह शून्य एफआईआर के बाद आगे की जांच के लिए चांदूर रेलवे पुलिस को स्थानांतरित कर दी गई है। अमरावती अदालत द्वारा अंततः हत्या का मामला दर्ज किए जाने के बाद मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। इस मामले में कुछ और पुलिसकर्मियों के शामिल होने की संभावना है। मृतक आरोपी को उसके घर से कौन लाया था? उसे किसने पीटा था? गहन जांच की आवश्यकता है और आरोपियों की संख्या बढ़ने की प्रबल संभावना है।






