डिजिटस स्कूल (सौ. सोशल मीडिया )
Akola News In Hindi: सरकार ने समय की मांग को देखते हुए जिला परिषद (जि.प.) शालाओं के विद्यार्थियों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ने के लिए प्रत्येक स्कूल तक कंप्यूटर पहुंचाने की योजना बनाई थी। लेकिन हकीकत यह है कि जिले की 945 जि।प। शालाओं में आज भी कई स्कूलों तक कंप्यूटर नहीं पहुंचे हैं।
जहां कंप्यूटर पहुंचे हैं, वहां प्रशिक्षित शिक्षक या बिजली आपूर्ति के अभाव में वे निष्क्रिय पड़े हैं। कुछ शालाओं में कंप्यूटर का उपयोग विद्यार्थियों के ज्ञानार्जन में हो रहा है, पर अधिकांश जगह स्थिति दयनीय है। शिक्षा विभाग के अनुसार जिले की 69 शालाओं में नई कंप्यूटर प्रयोगशालाएं शुरू की गई हैं, पर इनमें इंटरनेट सुविधा और प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं। परिणामस्वरूप “डिजिटल स्कूल” की योजना कागजों तक ही सीमित रह गई है। कई जगह स्थानीय विकास निधि और अन्य स्रोतों से कंप्यूटर तो उपलब्ध कराए गए, लेकिन उनका उपयोग सुनिश्चित करने की व्यवस्था नहीं हुई।
कई शालाओं में कंप्यूटर बंद अवस्था में धूल खा रहे हैं। जहां कंप्यूटर कार्यरत हैं, वहां मार्गदर्शन करने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं। सरकार का उद्देश्य बच्चों में कंप्यूटर कौशल और डिजिटल साक्षरता बढ़ाना था, लेकिन जिम्मेदारी से बचने वाली तंत्र के कारण यह पहल नाम मात्र रह गई है। वास्तविकता यह है कि डिजिटल स्कूल शिक्षा में क्रांति ला सकते थे, परंतु प्रशासन की ढीली योजना के कारण यह प्रयास असफल साबित हो रहा है।
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शहर में मनपा की 31 शालाएं हैं और इनमें भी अधिकांश की हालत ऐसी ही है। हालांकि अब इन शालाओं को डिजिटल बनाने के प्रयास शुरू हुए हैं। मनपा की 31 शालाओं में 60 डिजिटल क्लासरूम, 60 स्मार्ट बोर्ड और प्रत्येक शाला में छात्रों की संख्या के अनुसार आरओ पेयजल प्रणाली स्थापित की जाएगी। इसके लिए मनपा शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर मनपा आयुक्त के माध्यम से जिला नियोजन समिति को भेजा है। राज्य के श्रम मंत्री तथा जिले के पालक मंत्री एडआकाश फुंडकर के प्रयास से मनपा शालाओं के डिजिटलाइजेशन हेतु 4 करोड़ रुपये का विशेष निधि मंजूर किया गया है। जमीनी हकीकत यह है कि जिप और मनपा दोनों ही स्तर पर डिजिटल शिक्षा का सपना अभी अधूरा है। जब तक इंटरनेट, प्रशिक्षित शिक्षक और नियमित विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था नहीं होती, तब तक “डिजिटल स्कूल” की संकल्पना केवल फाइलों में ही सिमटी रहेगी।