प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए राकेश टिकैत व अन्य (फोटो नवभारत)
Rakesh Tikait News: देश में किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं और सरकार की नीतियां उन्हें और अधिक संकट में डाल रही हैं। चाहे सरकार किसी भी राजनीतिक दल की हो, यदि उसकी नीतियां किसानों के हित में नहीं हैं तो उनके खिलाफ आंदोलन और अनशन जारी रहेंगे। किसान बेइमान नहीं है, खेती बेइमान नहीं है, दिल्ली की कलम बेइमान है, जो किसानों के हितों रक्षा नहीं कर रही है। यह बात भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और किसान नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को अकोला में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही।
राकेश टिकैत ने कहा कि यदि किसानों को सम्मानजनक व्यवहार चाहिए तो उन्हें वैचारिक क्रांति का मार्ग अपनाना होगा। देश में इस क्रांति की शुरुआत हो चुकी है और आने वाले समय में यह आंदोलन और मजबूत होगा। राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि फसल को उचित मूल्य नहीं मिलने का कारण यह नहीं है कि खेत में उत्पादन नहीं हो रहा, बल्कि सत्ता में बैठे लोग बेईमान हैं।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि यह जानना जरूरी है कि किसानों के साथ धोखा कौन कर रहा है और इसके लिए एक मजबूत संगठन खड़ा करना होगा। राकेश टिकैत ने स्पष्ट किया कि खेत में काम करने वाला ही खेती और किसानों की बात करेगा, राजनीतिक क्षेत्र के लोग किसानों का भला नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि किसान चाहे किसी भी पार्टी को वोट दें- भाजपा या कांग्रेस अपने अधिकारों के लिए उन्हें आंदोलन करना ही पड़ेगा।
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे संयुक्त किसान मोर्चा के साथ खड़े होकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ें। उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी किसान आत्महत्या करते थे और खेती से जुड़े सवाल थे। हम तब से ही सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।
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आज जब हम मौजूदा सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं तो हमें गलत ठहराया जा रहा है, लेकिन हम निष्पक्ष हैं और केवल किसानों और आम नागरिकों के हित के लिए आंदोलन कर रहे हैं। पत्र परिषद में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता प्रकाश पोहरे, पी। साईनाथ, रामेंदर सिंह पटीयाला, गुरमित सिंह, सुखविंदर सिंह रावत और लक्ष्मण सिंह उपस्थित थे।
राकेश टिकैत ने महाराष्ट्र में सबसे अधिक किसान आत्महत्याओं पर चिंता जताते हुए कहा कि कर्ज तो पूरे देश के किसानों पर है, लेकिन महाराष्ट्र में ऐसी कौन-सी परिस्थितियां हैं जो किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर रही हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में किसानों का संगठन मजबूत नहीं है और उनके जीवन में संघर्ष लगातार बना हुआ है। किसी भी स्थिति में संघर्ष जारी रखना होगा, आत्महत्या इसका समाधान नहीं हो सकती।