कर्ज माफी को लेकर 'भीख मांगो' आंदोलन (सौजन्यः सोशल मीडिया)
अकोला: किसानों को फसल बीमा मिले, इसके लिए सरकारी स्तर पर उपाय किए जाने चाहिए। निर्माता, डीलर और दुकानदार आयकर रिटर्न दाखिल करके जीएसटी रिफंड प्राप्त करते हैं। किसानों को ऐसी सुविधाएं नहीं मिलतीं। इसलिए कृषि उत्पादों पर 18% जीएसटी कम किया जाना चाहिए। उपरोक्त सभी मुद्दों को उठाते हुए जलगांव जामोद के किसानों, खेतिहर मजदूरों और नागरिकों ने गुरुवार को उप-विभागीय कार्यालय के सामने ‘भीख मांगो आंदोलन’ किया।
महायुति के सभी नेताओं ने किसानों को आश्वासन दिया था कि वे जिले के सभी किसानों का 7 गुना ऋण माफ करेंगे। तत्कालीन महागठबंधन प्रत्याशियों ने भी अपने घोषणापत्र में दावा किया था कि वे किसानों का सम्पूर्ण कर्ज माफ कर देंगे और उन्हें राहत प्रदान करेंगे। सत्ता में आने के बाद अब किसान उस वादे के पूरा होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। कृषि उपज के बाजार मूल्यों में गिरावट, उत्पादन में भारी कमी, जारी प्राकृतिक आपदाओं और विभिन्न वित्तीय कठिनाइयों के कारण हजारों किसान बेसहारा हो गए हैं।
अतिदेय ऋणों के कारण बैंक की समस्याएं भी बढ़ गई हैं। किसान संकट में हैं। इसके कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री से लेकर वित्त मंत्री तक सभी किसानों से किए गए अपने वादों से मुकर गए हैं। वे झूठे वादे करके किसी न किसी तरह लोगों को आत्महत्या के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। तहसील के हजारों किसान 2023-24 के लिए फसल बीमा से वंचित हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को किसानों और नागरिकों की 1200 रुपये की मांग की याद दिलाई गई है। इस समय किसान आंदोलनकारियों में प्रकाश विट्ठलराव भिसे, तुकाराम पाटिल, राम वानखड़े, विशाल ताकोटे पाटिल, कार्तिक राऊत, आकाश उमाले, रामेश्वर काले, गणेश बोडाडे, दीपक अधव पाटिल, अशपाक देशमुख, राम रोठे, सुपदा गावंडे, वासुदेव खोदरे, गोपाल उमरकर, प्रशांत जाधव, पंकज नटकूट, अभिषेक हिसाल, विशाल भालेकर शामिल थे।