मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (सोर्स: सोशल मीडिया)
CM Devendra Fadnavis News: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गन्ना मिलों पर राज्य सरकार द्वारा लगाए गए लेवी (कर) के फैसले की आलोचना कर रहे विपक्षी नेताओं पर रविवार को तीखा हमला किया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह शुल्क किसानों की कमाई से नहीं बल्कि मिलों के मुनाफे से वसूला जाएगा और इसका उद्देश्य बाढ़ प्रभावित किसानों की मदद करना है।
राज्य में हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ के कारण किसानों को हुए नुकसान को देखते हुए सरकार ने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री राहत कोष (CMRF) के लिए मिलों पर प्रति टन गन्ने पर 10 रुपये और बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए पांच रुपये प्रति टन का शुल्क लगाने की घोषणा की थी। यह राशि सीधे बाढ़ प्रभावित किसानों तक पहुंचाई जाएगी।
अहिल्यानगर में आयोजित कार्यक्रम में सीएम फडणवीस ने कहा कि राज्य में करीब 200 मिलें हैं। एक मिल को सीएमआरएफ में लगभग 25 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ सकता है। हम किसानों से नहीं बल्कि चीनी मिलों के मुनाफे से धन की मांग कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आलोचना करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे इसका गलत अर्थ निकाल रहे हैं और इसे सरकार द्वारा किसानों से पैसा लेने के रूप में पेश कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कुछ मिलें तो टन भार में भी किसानों के साथ धोखाधड़ी करती पाई गई हैं और सरकार उन्हें सख्त संदेश देने के लिए तैयार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह लेवी सीधे मराठवाड़ा के बाढ़ प्रभावित किसानों तक सहायता के रूप में पहुंचेगी।
वहीं, विपक्ष ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि महाराष्ट्र सरकार ने गन्ना किसानों से अतिरिक्त शुल्क वसूलने का फैसला लिया।
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कांग्रेस विधान परिषद सदस्य सतेज पाटिल, शरद पवार गुट के विधायक रोहित पवार और किसान नेता राजू शेट्टी ने इसे ‘अनुचित’ और ‘वित्तीय बोझ’ करार दिया।
सरकार ने 2024-25 सीजन के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) 3,550 रुपये प्रति मीट्रिक टन तय किया था, और 200 मिलों ने 31,301 करोड़ रुपये मूल्य के गन्ने की पेराई की। इस में से 99.06 प्रतिशत FRP पहले ही चुका दिया गया है।
फडणवीस का यह कदम राज्य सरकार की नीति और बाढ़ प्रभावित किसानों की मदद के लिए आवश्यक वित्तीय कदम के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने विपक्षी आरोपों को नकारते हुए स्पष्ट किया कि यह लेवी किसानों पर बोझ नहीं, बल्कि मिलों के मुनाफे से वसूली जा रही है।