नए कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे (pic credit; social media)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की महायुति सरकार के कृषि मंत्रियों के विवादित बयानों का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। विवादित बयानों के कारण मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दो रोज पहले अजीत की राकां के नेता माणिकराव कोकाटे को कृषि मंत्री के पद से हटाया था। कोकाटे की जगह अजीत की राकां के ही नेता दत्तात्रेय भरणे को कृषिमंत्री की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन भरणे भी कोकाटे के ही मार्ग पर चलते दिख रहे हैं।
नए कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे ने शनिवार को कहा कि उल्टे काम करके उसे सही साबित करनेवालों को लोग याद रखते हैं। पूर्व कृषि मंत्री कोकाटे ने पहले कृषि मंत्रालय को उजाड़ गांव की जमीदारी कहा, तो फिर बाद में किसानों पर कर्ज के पैसे से पार्टी करने जैसा असंवेदनशील आरोप लगाया। इतना ही नहीं मानसून सत्र के दौरान उन्हें सदन में मोबाइल पर रमी (ताश) खेलते पकड़ा गया।
इसके बाद भी कोकाटे नहीं रुके। उन्होंने सरकार को भिखारी कह दिया था। नतीजतन कोकाटे को कृषि मंत्री से हटाकर खेल मंत्री बना दिया गया तो वहीं खेल मंत्री भरणे को कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। लेकिन कोकाटे की उटपटांग बयानबाजी की परंपरा को भरणे बरकरार रखते नजर आ रहे हैं। राजस्व दिवस के मौके पर इंदापुर में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सीधे काम तो सभी करते हैं लेकिन लोग उस व्यक्ति को याद रखते , जो उल्टा काम करता है और फिर उसे सही साबित कर देता है। भरणे के बयान पर बवाल मच गया है।
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राकां शरद चंद्र गुट के विधायक रोहित पवार ने भरणे के बयान की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि आपका यह पहला बयान है और यह बहुत खतरनाक है। आपने क्या कहा कि हमें उल्टे काम भी करने पड़ते हैं। कई नेताओं ने उल्टे सीधे काम करके राज्य की तिजोरी को उल्टा सीधा कर दिया है। इसके विपरीत, यदि आप ऐसे नेताओं की संपत्ति देखेंगे, तो ताड़ के पेड़ की तरह सीधे बढ़ती दिखाई देती है।
रोहित पवार ने कहा कि मैं भरणे को याद दिलाना चाहता हूं कि पूरा महाराष्ट्र हर मंत्री को देख रहा है। आपको यह पद उल्टे-सीधे काम करने के लिए नहीं दिया गया है। यदि आप सीधे काम करेंगे, तो हम ये सब स्वीकार करेंगे। लेकिन यदि आपने उल्टे काम की बात की तो महाराष्ट्र आपको माफ नहीं करेगा और हम आपको छोड़ेंगे नहीं।
उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि कृषि मंत्री बनने से पहले उन्होंने अधिकारियों की एक बैठक ली थी। वहां उन्होंने कहा था कि कभी-कभी लोगों के भले और समस्याओं को हल करने के लिए नियमों की अनदेखी करनी पड़ती है। इस दौरान बस यही देखना होता है कि यह संविधान और कानून के दायरे में हो। अक्सर राज्य सरकार को विशेष चीजें करने का अधिकार होता है। यदि कोई किसान परेशान है, तो हम कुछ नियमों को अलग रखते हुए कैबिनेट में फैसला लेते हैं। भरणे ने जो कहा कि वह इसी का एक हिस्सा है।