नागपुर: पूर्वी महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में 13 से 15 अगस्त के बीच पांच किसानों ने फसलें खराब होने के कारण आत्महत्या कर ली। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने शुक्रवार को यह दावा किया। एक स्थानीय अधिकारी ने इन घटनाओं की पुष्टि की, लेकिन कहा कि इन आत्महत्याओं की वजहों का अभी तक पता नहीं चल सका है।
किसानों के कल्याण के लिए राज्य सरकार के वसंतराव नाइक शेतकारी स्वावलंबी मिशन के पूर्व अध्यक्ष एवं कार्यकर्ता किशोर तिवारी ने दावा किया कि इस साल अब तक विदर्भ में 1,565 किसानों ने आत्महत्या की है। उन्होंने बताया कि यवतमाल जिले में येराड गांव के निवासी मनोज राठौड़ (35) ने आर्थिक तंगी के कारण 15 अगस्त को फांसी लगा ली। उन्होंने बताया कि तेम्भी गांव के आदिवासी कृषक कर्ण किनाके (51) ने 14 अगस्त को आर्थिक तंगी की वजह से कर ली।
तिवारी ने कहा कि उसी दिन उमर विहिर गांव के शालू पवार (42) ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने कहा कि इनमें से दो किसानों की फसलों को जंगली जानवरों ने क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। उन्होंने दावा किया कि 13 अगस्त को तिवरंग गांव के किसान नामदेव वाघमारे (45) और लोहारा गांव के रामराव राठौड़ (42) ने आत्महत्या कर ली।
तिवारी ने कहा कि भारी कर्ज और फसल खराब हो जाने के कारण अमरावती जिले के शिराला गांव में भी एक किसान ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने कहा कि मुख्य नकदी फसल कपास की मांग काफी कम हो गई है, जिससे किसान परेशान हैं, वहीं खेती की लागत अचानक बढ़ गई है और सरकारी बैंकों द्वारा बहुत कम ऋण दिए जाने से संकट और गंभीर हो गया है।
यवतमाल में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने पुष्टि की कि हाल के दिनों में जिले में पांच किसानों ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने कहा कि पुलिस और राजस्व विभाग इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या इन घटनाओं के पीछे खेती से जुड़ी समस्या या पारिवारिक विवाद या कोई अन्य कारण था। (एजेंसी)