चीफ जस्टिस गवई (फोटो- सोशल मीडिया)
Delhi News: सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस बीआर गवई अपनी एक टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर घिर गए हैं। उन्होंने खजुराहो के प्रसिद्ध जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की मरम्मत कर के लिए दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी, जिसको लेकर अब बवाल हो रहा है। इस मामले में विश्व हिंदू परिषद ने चीफ जस्टिस गवई को पत्र लिखकर वाणी पर संयम रखने के नसीहत दी है।
इस मामले में विवाद बढ़ता देख गवई ने खुद सामने आकर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि मेरे बयान को सोशल मीडिया पर गलत ढंग से पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि मुझे किसी ने अगले दिन बताया कि आपकी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।
चीफ जस्टिस गवई खजुराहो की जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की मरम्मत कराने की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए याची को झिड़कते हुए कहा कि आपकी अर्जी जनहित याचिका नहीं, बल्कि प्रचार याचिका है। उन्होंने आगे कहा कि यदि आप भगवान विष्णु के इतने कट्टर भक्त हैं तो फिर उन्हीं से प्रार्थना कीजिए। उनकी इस टिप्पणी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लोग बीआर गवई की आलोचना कर रहे हैं।
इस मामले पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं चीफ जस्टिस बीआर गवई को बीते 10 सालों से जानता हूं। वह हर धार्मिक स्थलों पर जाते हैं और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। मेहता ने कहा कि यह एक गंभीर मसला है। उन्होंने कहा कि हमने न्यूटन का लॉ पढ़ा है कि हर ऐक्शन का रिएक्शन होता है। लेकिन आज तो हर ऐक्शन पर सोशल मीडिया में गलत रिएक्शन होता है।वहीं वरिष्ठ वकील व राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि ऐसी चीजों का हम लोग अक्सर समाना करते रहते हैं। इस तरह से किसी को भी बदनाम नहीं किया जाना चाहिए।
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इसी मामले को लेकर विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने चीफ जस्टिस गवई के नाम एक पत्र लिखा है। पत्र में VHP ने कहा कि हम सब का कर्तव्य है कि वाणी पर संयम रखें। विशेष तौर पर कोर्ट के अंदर। यह जिम्मेदारी मुकदमा लड़ने वालों की है। वकीलों की और उतनी न्यायाधीशों की है। उन्होंने ने गवई की टिप्पणी हिंदू धर्म की आस्था का उपहास उड़ाने वाली है। अच्छा होगा इस तरह की टिप्पणी से बचा जाए।