प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पद्मश्री डॉ. मुनीश्वर चंद्र डावर (फोटो- सोशल मीडिया)
जबलपुर: महंगाई के इस दौर में सिर्फ 20 रुपये में मरीजों का इलाज करने वाले प्रसिद्ध चिकित्सक पद्मश्री मुनीश्वर चंद्र डावर का शुक्रवार को निधन हो गया। वे 79 वर्ष के थे। उनके परिवार ने इस दुखद सूचना की पुष्टि की। समाज सेवा में उनके योगदान के कारण उन्हें ‘गरीबों का मसीहा’ कहा जाता था।
परिवार के अनुसार, उम्र संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उनका निधन शुक्रवार सुबह हुआ। उनका अंतिम संस्कार उसी दिन शाम चार बजे गुप्तेश्वर मुक्तिधाम में किया गया। चिकित्सक समुदाय सहित समाज के विभिन्न वर्गों के लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। इस मौके पर मुख्यमंत्री मोहन यादव, राज्य सरकार के मंत्री और जबलपुर के पूर्व सांसद राकेश सिंह समेत कई नेताओं ने डॉ. डावर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पद्मश्री डॉ. एम सी डावर के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। यह जबलपुर ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें।” मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों डॉक्टर डावर से हुई मुलाकात का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें जनसेवा के प्रति उनके समर्पण से बेहद प्रेरणा मिली थी।
पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। यह जबलपुर ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें।
विगत दिनों आपसे हुई भेंट में मुझे जनसेवा के प्रति आपके समर्पण से प्रेरणा मिली थी। आपके… pic.twitter.com/rt7cJsYyEd
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) July 4, 2025
उन्होंने कहा, ‘‘आपके देवलोकगमन से मानव सेवा और लोक कल्याण के क्षेत्र में गहरी रिक्तता आई है।” यादव ने आगे कहा कि, दो रुपये में गरीबों का इलाज करने वाले सुप्रसिद्ध चिकित्सक, जबलपुर के गौरव, पद्मश्री डॉ. एम सी डावर के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उनका जाना सामाजिक सेवा के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति है।
डॉक्टर डावर का जन्म 16 जनवरी 1946 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था और विभाजन के बाद उनका परिवार भारत में बस गया था। उन्होंने जबलपुर मेडिकल कॉलेज से साल 1967 में एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी) की पढ़ाई की। उन्होंने भारत-पाक युद्ध के दौरान साल 1971 में लगभग एक साल तक भारतीय सेना में अपनी सेवाएं प्रदान कीं।
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इसके बाद साल 1972 में जबलपुर में उन्होंने लोगों को बहुत मामूली शुल्क पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना प्रारंभ किया। उन्होंने दो रुपये में लोगों का इलाज शुरू किया और इसके बाद 5, 10 तथा 15 रुपये शुल्क लेकर मरीजों को इलाज करते थे। वर्तमान में वह फीस के रूप में सिर्फ 20 रुपये लेते थे। मानव सेवा के लिए उनके समर्पण को देखते हुए केंद्र सरकार ने 2023 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। यहां के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी सराहना की थी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)