MP हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: मासूम बच्ची से हैवानियत करने वाले युवक की फांसी सजा बदली (फोटो- सोशल मीडिया)
जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने एक चौंकाने वाले फैसले में 4 साल की मासूम बच्ची से घिनौनी हरकत करने और उसकी जान लेने की कोशिश के दोषी युवक की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला है। कोर्ट ने 20 वर्षीय आरोपी की पारिवारिक, सामाजिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि को देखते हुए उसे सीधे फांसी देना अनुपयुक्त माना और 25 साल का कठोर कारावास सुनाया। यह फैसला न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की डिवीजन बेंच ने सुनाया।
यह मामला खंडवा जिले के खालवा क्षेत्र का है, जहां अक्टूबर 2022 में चार साल की बच्ची खेत की झोपड़ी से अगवा कर ली गई थी। अगले दिन वह पास की झाड़ियों में मरणासन्न हालत में मिली। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी राजकुमार को 24 घंटे में गिरफ्तार किया। जांच के दौरान उसके खिलाफ डीएनए समेत वैज्ञानिक सबूत मिले, जिसके आधार पर अप्रैल 2023 में ट्रायल कोर्ट ने उसे फांसी की सजा दी थी।
दोषी को सुधार का मौका मिलना चाहिए
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को आंशिक रूप से बरकरार रखते हुए कहा कि आरोपी का कृत्य अत्यंत घातक और क्रूर था। उसने एक मासूम बच्ची को जान से मारने की नीयत से अकेले में ले जाकर जानलेवा हमला किया और छोड़ दिया। लेकिन वह एक आदिवासी समुदाय से है, अशिक्षित है और जीवन की मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहा है। कोर्ट ने माना कि उसके पास जीवन को सही दिशा देने के पर्याप्त अवसर नहीं थे। अदालत ने कहा है कि अपराध गंभीर है, लेकिन दोषी को सुधार का मौका मिलना चाहिए।
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पुलिस की तत्परता और वैज्ञानिक सबूतों से बना केस
पुलिस की तत्परता और तकनीकी साक्ष्यों की मदद से आरोपी को जल्द पकड़ा गया। आरोपी ने पूछताछ में जुर्म कबूल कर लिया था और बच्ची की लोकेशन भी बताई थी। बच्ची को समय रहते अस्पताल में भर्ती कर इलाज शुरू हुआ, जिससे उसकी जान बचाई जा सकी। हाईकोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट को निर्णायक माना, लेकिन फांसी को अंतिम विकल्प मानने की बात दोहराई। बता दें कि मामले पर हाइकोर्ट के द्वारा कहा गया है कि अपराधी के अपराध करने के पीछे उसकी कम शिक्षा का होना है इसलिए उसे सुधार को मौका देने के लिए उसकी फांसी की सजा को बदलकर 25 साल की सजा में कर दिया गया है।