इंदौर में होता है गेर होली का आयोजन (सौ.सोशल मीडिया)
Indore Holi Celebration: देशभर में 14 मार्च को रंगोत्सव मनाया गया तो वहीं पर इससे पहले 13 मार्च को होलिका दहन किया गया था। होली का त्योहार देश के हर कोने में फेमस होता है तो वहीं पर इसकी परंपराएं भी। रंगोत्सव के साथ ही होली का त्योहार रंगपंचमी पर खत्म होता है। होली के बाद पांचवे दिन मनाए जाने वाले इस मौके पर धुलेंडी की तरह ही रंगों से खेला जाता है।
कई मान्यताओं में से एक दुनिया के सबसे स्वच्छ इंदौर का नाम आता है यहां पर गेर ही का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां पर इस परंपरा को इतनी भव्यता के साथ निकाली जाती है कि इसमें पूरा शहर एक साथ रंग खेलता नजर आता है। चलिए जानते हैं क्या होता है गेर औऱ इसकी मान्यता क्या होती है।
आपको बताते चलें कि, इंदौर के फेमस इस गेर होली की बात की जाए तो,गेर शब्द ‘घेर’ शब्द से निकलकर आया है, जिसका अर्थ है घेरना। इस मौके पर एक-दूसरे को घेरा जाता है। इसे लेकर गिरि परिवार की तीसरी पीढ़ी के शेखर गिरि बताते हैं कि वे बीते 70 साल से इसी तरह गेर देखते आ रहे हैं. उनके पहले उनके पिता और दादा गेर निकालते थे. उस दौरान शहर के टोरी कॉर्नर पर रंगपंचमी के दिन सुबह से ही रंग से भरा कढ़ाव भरकर सड़क पर ही रख दिया जाता था, इसके बाद जो भी यहां गुजरता था उसे स्थानीय होली खेलने वाले घेरकर रंग से भरे कढ़ाव में डाल देते थे. उस दौरान होली खेलते-खेलते लोग टोरी कार्नर से फिर एकत्र होकर एक दूसरे पर रंग डालते हुए राजवाड़ा तक जाते थे।
आपको बताते चलें कि, इंदौर के इस खास गेर महोत्सव का आयोजन बड़ा ही खास होता है। इस बार रंगपंचमी का त्योहार 20 मार्च को मनाया जाएगा। इस आयोजन के दिन गुलाल और फाग की मस्ती में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में लोग शहर के राजवाड़ा पहुंचते हैं। यहां पर इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल होते हैं. सुबह के 11 बजते ही शहर के विभिन्न क्षेत्रों से फाग यात्राएं निकलना शुरु होती हैं। इसके अलावा इस आयोजन के दौरान इन फाग यात्रा में लोग पानी के विशाल टेंकर, रंग उड़ाने वाली तोप प्रेशर वाले रंगीन फव्वारे और गुलाल आसमान में उड़ाने के तमाम साधनों के साथ चलते हैं. इस दौरान म्यूजिक और डीजे की धुन पर लोग एक दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाते और नाचते गाते गुजरते हैं।
गेर होली का महत्व (सौ.सोशल मीडिया)
आपको बताते चलें कि, गेर निकालने वाले आयोजक यात्रा निकालने वाले स्थान से जाने जाते हैं, जिसमें गेर टोरी कॉर्नर महोत्सव समिति, संगम कार्नर, मॉरल क्लब, रसिया कॉर्नर, राधाकृष्ण फाग यात्रा, श्री कृष्ण फाग यात्रा, संस्था संस्कार, बाणेश्वर समिति, माधव फाग यात्रा आदि हैं, जो शहर के कैलाश मार्ग राजमोहल्ला से होते हुए संगम कॉर्नर, गोराकुंड, राजवाड़ा, बड़ा सराफा, इतवारिया बाजार होते हुए पुनः टोरी कॉर्नर पर समाप्त होती है।