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सीमा कुमारी
नई दिल्ली: जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ‘वरुथिनी एकादशी’ (Varuthini Ekadashi 2023) के नाम से जाना जाता है। इस बार ये एकादशी 16 अप्रैल, रविवार को हैं। सालभर में कुल 24 एकादशी पड़ती है, जिसमें से हर माह 2 एकादशी होती है। लेकिन, जिस साल मलमास पड़ता है तब 26 एकादशी पड़ती है। प्रत्येक एकादशी का अपना एक अलग महत्व होता है, जिसमें भगवान विष्णु (lord vishnu) की पूजा करने का विधान है। इन्हीं तिथियों में से एक ‘वरुथिनी एकादशी’ है। आइए जानें वरुथिनी एकादशी का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
कृष्ण पक्ष एकादशी (वरुथिनी एकादशी, वैशाख, कृष्ण एकादशी) रविवार, 16 अप्रैल 2023
15 अप्रैल 2023 को रात 08 बजकर 45 मिनट पर
एकादशी समाप्ति: 16 अप्रैल 2023 को शाम 06:14 बजे
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद सूखे साफ कपड़े पहन लें और भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें। इसके बाद भगवान को फूल, माला चढ़ाकर पीला चंदन लगाएं। इसके बाद भोग लगाकर घी का दीपक जलाएं। फिर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और एकादशी व्रत कथा का पाठ कर लें। अंत में विधिवत तरीके से आरती कर लें। आरती करने के बाद दिनभर फलाहार व्रत रहने के बाद द्वादशी के दिन व्रत का पारण कर दें।
वरुथिनी एकादशी का महत्व भविष्य पुराण में बताया गया है। इस एकादशी का उल्लेख भगवान कृष्ण और युधिष्ठिर के बीच हुई बातचीत के एक भाग के रूप में किया गया है। मान्यता है कि इस एकादशी तिथि का व्रत रखने और इस दिन श्रद्धा भाव से विष्णु पूजन करने से व्यक्ति को मोक्ष और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन का व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन का पूजन विशेष रूप से सभी पापों से मुक्ति दिलाता है। यदि कोई व्यक्ति इस दिन भगवान विष्णु का पूजन माता लक्ष्मी समेत करता है तो यह उसके लिए विशेष रूप से फलदायी होता है।