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सीमा कुमारी
नवभारत डिजिटल टीम: नवरात्रि समाप्त ही दिवाली (Diwali 2023) की तैयारियां शुरु हो जाती है। दीपावली का पर्व एक नहीं बल्कि पूरे पांच दिनों तक चलता है। इस महोत्सव की शुरुआत धनतेरस के दिन से होती है और इसके दूसरे दिन ‘नरक चतुर्दशी’ मनाई जाती है। हिंदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व है और इसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। इस बार ‘नरक चतुर्दशी’ (Narak Chaturdashi 2023) 12 नवंबर रविवार 2023 को है। इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस,नरक चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। नरक की यातना और पाप कर्मों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए एवं स्वर्ग में सुख और वैभव की कामना तथा स्वर्ग में अपने लिए स्थान पाने के लिए नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत बहुत ही फलदायी होता है।
इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और श्रीकृष्ण की आराधना की जाती हैं और यम के नाम संध्या काल में दीपक जलाएं जाते है। कहते हैं नरक चतुर्दशी पर दीप जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। आइए जानें इस साल नरक चतुर्दशी की डेट, मुहूर्त और धार्मिक महत्व-
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2023 को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 12 नवंबर 2023 को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट पर होगा।
नरक चतुर्थी के दिन रूप निखारा जाता है, जिसके लिए प्रात: काल स्नान की परंपरा है। इसलिए उदया तिथि को देखते हुए नरक चतुर्दशी 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इसी दिन बड़ी दिवाली भी है। हालांकि जो लोग मां काली, हनुमान जी और यमदेव की पूजा करते हैं वे 11 नवंबर को नरक चतुर्थी यानी छोटी दिवाली का पर्व मनाएंगे।
नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय के पूर्व शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करने की प्रक्रिया को अभ्यंग स्नान कहा जाता है। इस बार अभ्यंग स्नान का समय 12 नवंबर 2023 को सुबह 5 बजकर 28 मिनट से 6 बजकर 41 मिनट तक है।
सनातन धर्म में ‘नरक चतुर्दशी’ का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि, इस दिन विशेष रूप से यम देव की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए दीपदान किया जाता है। इस दिन घर के बाहर स्थित किसी नाली के पास दीपक प्रज्वलित किया जाता है और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करने की प्रार्थना की जाती है। इस दिन यदि आप सरसों के तेल का दीपक जलाकर मुख्य द्वार पर रखती हैं तो माता लक्ष्मी का आगमन होता है और पूरे साल उनकी कृपा दृष्टि बनी रहती है।