नरक चतुर्दशी का शुभ समय (सौ.सोशल मीडिया)
Narak Chaturdashi Kya Hoti Hai: अब कुछ ही दिनों दीपों का महोत्सव दिवाली आने वाली है। दिवाली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो साल में एक बार पवित्र मास कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी के साथ कुबेर और गणेश भगवान का पूजन भी किया जाता है।
आपको बता दें, दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली एक पर्व भी है। वो है ‘नरक चतुर्दशी’। अगर नरक चतुर्दशी की करें तो, सनातन धर्म में ‘नरक चतुर्दशी’ व्रत का बहुत अधिक महत्व है।
नरक चतुर्दशी को ‘छोटी दिवाली’, ‘रूप चौदस’ या ‘काली चौदस’ भी कहा जाता है। यह पर्व केवल दीप जलाने का नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, नकारात्मकता से मुक्ति और शुभ ऊर्जा के स्वागत का प्रतीक भी होता है।
इस वर्ष नरक चतुर्दशी रविवार, 19 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व दीपावली जितना ही गहरा है। ऐसे में आइए, नरक चतुर्दशी की सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
आपको बता दें, इस वर्ष नरक चतुर्दशी की तिथि 19 और 20 अक्टूबर, दोनों दिन पड़ रही है। पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि का आरंभ 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 01:51 बजे होगा और इसका समापन 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:44 बजे होगा। इसलिए पूजा 19 अक्टूबर की रात को की जाएगी, जबकि अभ्यंग स्नान 20 अक्टूबर की भोर में किया जाएगा।
नरक चतुर्दशी पूजा 19 अक्टूबर 2025
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:07 से 02:53 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:58 से 06:23 बजे तक
रूप चौदस अभ्यंग स्नान 20 अक्टूबर 2025
सूर्योदय से पहले प्रातःकाल 05:13 से 06:25 बजे तक।
ज्योतिषयों के अनुसार, इस साल नरक चतुर्दशी पर अमृतसिद्धि योग और सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहे हैं, जो पूजा और नए कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
कहा जाता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था। इसी विजय की स्मृति में दीप जलाए गए और यह परंपरा छोटी दिवाली के रूप में आज भी जारी है। इस दिन हनुमानजी, यमराज और श्रीकृष्ण की पूजा का भी विशेष महत्व है।
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नरक चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर उबटन लगाने, कड़वे पत्तों (नीम, चिचड़ी आदि) मिले जल से स्नान करने या तिल-तेल स्नान करने की परंपरा है। इसे रूप चौदस कहा जाता है क्योंकि इस स्नान से रूप-लावण्य और तेज की प्राप्ति होती है। स्नान आदि करने के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करना विशेष पुण्यदायी माना जाता है।