सीमा कुमारी
नई दिल्ली: हर साल माघ महीने की पंचमी तिथि को ‘बसंत पंचमी’ (Basant Panchami) का उत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 5 फरवरी को है। इस दिन छात्र और शिक्षक ‘मां सरस्वती’ (Maa Saraswati Puja) की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि, ज्ञान और वाणी की देवी होने के कारण ‘माता सरस्वती’ की उपासना करने वाला मूर्ख भी विद्वान बन जाता है।
यदि किसी बच्चे की वाणी से जुड़ी कोई समस्या है, तो वह भी दूर हो सकती है। ज्योतिष- शास्त्र के मुताबिक, यदि बच्चे में किसी तरह का वाणी दोष है, या उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता है, तो ‘बसंत पंचमी’ के दिन कुछ उपाय करने से बच्चे की परेशानी दूर हो सकती है। आइए जानें ‘बसंत पंचमी’के दिन क्या उपाय करें ?
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, अगर आपका बच्चा पढ़ाई से जी चुराता है या उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता तो बसंत पंचमी के दिन अपने बच्चे के हाथ से हरे रंग के फल अर्पित करवाएं। अगर विद्यार्थी का मन पढ़ाई में नहीं लगता है, तो उन्हें मां सरस्वती के मूल मंत्र ‘ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः’ का जाप करना चाहिए। इसके अलावा माता सरस्वती का एक चित्र बच्चे के स्टडी रूम में स्टडी टेबल के पास लगाएं।
जिन नवजात शिशुओं की पहली ‘बसंत पंचमी’ है उनकी जीभ पर चांदी की सलाई की मदद से शहद से ‘ऊँ ऐं’ मंत्र लिखें। इससे बच्चा बुद्धिमान और मधुर वाणी वाला होगा। यदि किसी बच्चे को वाणी दोष है, तो ‘बसंत पंचमी’ के दिन उसकी जीभ पर चांदी की सलाई या पेन की नोक से केसर की मदद से ‘ऐं’ लिख दें. ऐसी मान्यता है कि इससे बच्चे की जुबान ठीक हो सकती है।
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, बच्चे का बिल्कुल भी पढ़ने में मन नहीं लगता तो उसकी स्टडी टेबल पर ‘मां सरस्वती’ की प्रतिमा या फोटो लगाएं। इसके बाद उनके सामने सफेद या फिर पीले रंग का पेन रख दें। जब भी लिखने का कार्य खत्म हो जाए तो पेन का वापस ‘मां सरस्वती’ के चरणों में ही रख दें। इसके अलावा, बच्चे को सिखाएं कि वह जब भी पढ़ने के लिए बैठे तो पूर्व दिशा की ओर ही मुंह करके बैठे और पढ़ाई शुरू करने से पहले ‘ऊं नमो भगवती सरस्वती वाग्वादिनी ब्राह्मणी ब्रह्मस्वरूपिणी बुद्धिवादिनी मम विद्या देहि-देहि स्वाहा।’ मंत्र का 1, 3, 5,7 या फिर 11 बार यथाशक्ति और भक्ति जप करे। इसके बाद पढ़ना शुरू कर दे। मां का आशीर्वाद मिलेगा।