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-सीमा कुमारी
‘वरुथिनी एकादशी’ (Varuthini Ekadashi) इस वर्ष 26 अप्रैल, दिन मंगलवार को है। यह एकादशी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन सृष्टि के पालनकर्ता श्रीहरि विष्णु की पूजा की जाती है, व्रत कथा का पाठ किया जाता है, दान करते हैं और नियमपूर्वक व्रत रखते हैं।
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, इस व्रत को करने से कष्ट और दुख दूर होते हैं। इसके अतिरिक्त, भगवान विष्णु जी के कृपा से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में एकादशी व्रत से संबंधित कुछ नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करना बहुत ही आवश्यक होता है। आइए जानें शुभ-फल की प्राप्ति के लिए इस दिन किन नियमों का करना चाहिए ?
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। साथ ही ‘वरुथिनी एकादशी’ के दिन भगवान विष्णु की किसी पीली चीज का भोग लगाएं। भोग लगाते समय उसमें तुलसी की पत्तियों को अवश्य शामिल करें।
एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को तामसिक भोजन और विचारों से दूर रहना चाहिए। व्रत रखने वाले व्यक्ति को मन, वचन और कर्म की शुद्धता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार, तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, इसलिए उनकी पूजा में हर तरह से तुलसी का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे में एकादशी के दिन पूजा के साथ भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप तुलसी की माला से अवश्य करें। ऐसा करने से मनोकामना की सिद्धि होती है।
एकादशी व्रत वाले दिन व्रती और परिवार के अन्य सदस्यों को बाल, नाखून, दाढ़ी नहीं काटना चाहिए, इस दिन स्नान में साबुन का उपयोग नहीं करते है। इसके अलावा, एकादशी वाले दिन घर में झाड़ू नहीं लगाते हैं क्योंकि ऐसा करने से छोटे कीड़े आदि मर सकते है। जीव हत्या के दोष से बचना चाहिए।