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मुंबई: चार महीने का चातुर्मास कल यानी गुरुवार को शुरू हो रहा है। चातुर्मास का महीना इस बार 29 जून से 23 नवंबर तक चलेगा। यह चातुर्मास 148 दिन का है। हिन्दू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है। चातुर्मास के चारों महीने हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र माने जाते हैं।
किन चार महीने से बनता है चातुर्मास
सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक माह को मिलाकर चातुर्मास बनता है। इन चारो माह का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है, जो कार्तिक के देव प्रबोधिनी एकादशी तक चलती है।
चातुर्मास में शुभ और मांगलिक कार्य क्यों वर्जित
चातुर्मास में श्री हरि विष्णु योगनिद्रा में लीन रहते हैं, इसलिए शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं। इसी अवधि में आषाढ़ के महीने में भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लिया था।
चातुर्मास में किसकी बरसती है कृपा ?
आषाढ़ के महीने में अंतिम समय में भगवान वामन और गुरु पूजा का विशेष महत्व होता है । सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना होती है और उनकी कृपा सरलता से मिलती है। भाद्रपद में भगवान कृष्ण का जन्म होता है और उनकी कृपा बरसती है। आश्विन के महीने में देवी और शक्ति की उपासना की जाती है. कार्तिक के महीने में पुनः भगवान विष्णु का जागरण होता है और सृष्टि में मंगल कार्य आरम्भ हो जाते हैं।
चातुर्मास में खान-पान के हैं नियम
चातुर्मास में एक ही बेला भोजन करना उत्तम माना गया है। इन चार महीनों में जितना सात्विक रहा जाए, उतना ही अच्छा रहेगा। श्रावण यानी सावन में शाक, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक माह में दाल का त्याग करना चाहिए। इस समय में जल का अधिक से अधिक सेवन करें। जितना सम्भव हो मन को ईश्वर में लगाने का प्रयास करें।
चातुर्मास में किसकी करें पूजा- उपासना के क्या हैं लाभ