सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। कुछ हफ्ते पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सवालों को ध्यान में रखते हुए इस विवादास्पद कानून के दो मुख्य बिंदुओं के लागू करने पर रोक लगा दी थी।
पिछली सुनवाई में केंद्र सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि वो अगली तारीख तक ‘वक्फ बाय यूजर’ सहित अन्य वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं करेगा, न ही केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्ति करेगा।
5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को पिछले महीने अधिसूचित किया था। वक्फ बिल को 288 सदस्यों के समर्थन से पारित किया, जबकि 232 सांसद इसके खिलाफ वोट किया था। राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 और इसके खिलाफ 95 सदस्यों ने मतदान किया। इसके पास होने के बाद कई राजनीतिक दलों और मुस्लिम संगठनों ने अधिनियम की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ सोमवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर दायर की गई पांच याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की ओर से दायर एक याचिका भी शामिल है। वहीं वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से अदालत में सरकार के खिलाफ दलील रखेंगें।
अदालत ने 17 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को स्वीकार किया था। कोर्ट ने केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्ड में गैर मुस्लिमों की नियुक्ति पर सवाल किए थे।
देश की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जज के वी विश्वनाथन की पीठ ने इसको सूचीबद्ध किया था। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा था कि संसद की ओर से उचित विचार-विमर्श के बाद पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। तब कोर्ट ने सरकार से वक्फ बाय यूजर को लेकर अपनी कुछ चिंता जाहिर की थी। इसके बाद सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि वो सुनवाई पूरी होने तक कोई नियुक्ति नहीं करेगा।