चंद्रकांत पाटिल और एकनाथ शिंदे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Chandrakant Patil: शिवसेना और राकांपा के गुटों के बीच चल रहे वर्चस्व की लड़ाई के बीच महाराष्ट्र में भाजपा के मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा है कि शिवसेना को उद्धव ठाकरे की पार्टी के रूप में जाना जाता है और यही बात राकांपा एवं उसके संस्थापक शरद पवार के लिए भी सच है। भाजपा नेता की इस टिप्पणी से सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन असहज हो सकता है।
वैसे वह यह समझाने का प्रयास कर रहे थे कि भाजपा को उसके ‘कार्यकर्ताओं’ की पार्टी के रूप में जाना जाता है, जबकि शिवसेना और राकांपा को उनके नेताओं के नाम से जाना जाता है। पाटिल सांगली में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोल रहे थे। भाजपा वर्तमान में महायुति गठबंधन के हिस्से के रूप में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के साथ राज्य में सत्ता में है।
शिंदे और पवार देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। उद्धव की शिवसेना और शरद पवार की राकांपा कांग्रेस के साथ विपक्षी महाविकास आघाडी का हिस्सा हैं। कार्यक्रम के दौरान उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री पाटिल ने कहा कि शिवसेना हमेशा बालासाहब ठाकरे की पार्टी जानी जाती थी, फिर उद्धव ठाकरे की पार्टी कहलाने लगी और शायद भविष्य में आदित्य ठाकरे की पार्टी के रूप में जानी जाएगी।
यही बात राकांपा के लिए भी सच है, जिसे हमेशा शरद पवार की पार्टी के रूप में जाना जाता रहा है। ये कभी कार्यकर्ताओं की पार्टी के रूप में नहीं जानी जाती है। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर भाजपा हमेशा अपने कार्यकर्ताओं की पार्टी के रूप में जानी जाती है। जून 2022 में शिवसेना का तब विभाजन हो गया था जब तत्कालीन मंत्री एवं पार्टी नेता एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी और पार्टी के अधिकतर विधायकों के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया था।
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तब शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे। एक साल बाद, महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने अपने चाचा और राकांपा संस्थापक शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी एवं एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल हो गए थे।
उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए निर्वाचन आयोग ने फरवरी 2023 में शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े को ‘शिवसेना’ नाम और उसका चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ आवंटित कर दिया। बाद में, आयोग ने अजित गुट को असली राकांपा के रूप में मान्यता दी और उनके नेतृत्व वाले गुट को पार्टी का चिन्ह ‘घड़ी’ आवंटित किया।