संजय राउत ने नेताओं के डेलिगेशन की आलोचना (pic credit, social media)
मुबंई: केंद्र सरकार विभिन्न देशों में सर्वदलीय सांसदों के सात प्रतिनिधिमंडल भेजेगी ताकि यह दिखाया जा सके कि भारत दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है। लेकिन शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी के सांसद व प्रवक्ता संजय राउत ने केंद्र के निर्णय की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि पीएम ने 200 देशों की यात्रा की है लेकिन एक भी देश उनके साथ खड़ा नहीं हुआ।
केंद्र सरकार की योजना के अनुसार, सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल इस माह के अंत में प्रमुख देशों का दौरा करेगा। लेकिन संजय राऊत ने इस सरकारी प्रतिनिधिमंडल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। उन्होंने सरकार पर कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आप इस मुद्दे को खुद ही दुनिया के सामने ले जा रहे हैं। जबकि जल्दबाजी में ऐसा कुछ करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह लगाया जाएगा कि मोदी एक कमजोर प्रधानमंत्री हैं।
संजय राउत ने मीडिया से हुई बातचीत में दावा किया कि प्रतिनिधिमंडल सरकार द्वारा किए गए ‘पापों और अपराधों’ का बचाव करेगा। उन्होंने कहा, इस तरह के प्रतिनिधिमंडल को भेजने की कोई जरूरत नहीं थी, जो सरकार द्वारा वित्तपोषित है। वे क्या करेंगे? विदेश में हमारे राजदूत हैं। वे अपना काम कर रहे हैं। इंडिया गठबंधन (दलों) को इसका बहिष्कार करना चाहिए था। वे सरकार द्वारा बिछाए गए जाल में फंस रहे हैं। आप सरकार द्वारा किए गए पापों और अपराधों का बचाव करने जा रहे हैं, देश का नहीं।
इंडिया गठबंधन में एकमत नहीं
संजय राउत की टिप्पणियों से यह भी संकेत मिलता है कि इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियां इस मुद्दे पर एकमत नहीं हैं। राउत ने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे को नामित करने के लिए भी सरकार की आलोचना की और कहा कि लोकसभा में संख्या बल के कारण उनकी पार्टी को भी एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का मौका मिलना चाहिए था।
प्रतिनिधिमंडल को जल्दबाजी में भेजने की नहीं थी जरूरत
उद्धव गुट के सांसद राउत ने सवाल किया, क्या किसी ने शिवसेना (यूबीटी), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से पूछा? आप किस आधार पर कह रहे हैं कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जा रहा है। इस तरह के प्रतिनिधिमंडल को जल्दबाजी में भेजने की कोई आवश्यकता नहीं थी। विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर संसद का एक विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। सरकार चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है।