बंगाल में सिर्फ ममता दीदी (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, हमें बताइए कि राजनीति में दादागिरी तो होती है लेकिन दीदीगिरी क्यों नहीं होती? क्या कोई दीदी दबंग नहीं हो सकती?’ हमने कहा, ‘बंगाल जाइए।वहां रूआबदार दीदी के दर्शन हो जाएंगे।विधानसभा चुनाव में दीदी कहलानेवाली मुख्यमंत्री व टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की एक नहीं चलने दी थी।जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा वहां चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे तो ममता ने कहा था कि कहां से चले आते हैं ये चड्ढा-पड्ढा! यह ममता ही हैं जिन्होंने बंगाल में लेफ्ट पार्टियों को उन्हीं के तरीके से उखाड़ा फेंका।फुटपाथ पर उतर कर आंदोलन करनेवाली ममता कम्युनिस्टों पर भारी पड़ गई थीं.’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, सभी जानते हैं कि दीदी की वजह से बीजेपी बंगाल फतह नहीं कर पा रही है।प्रधानमंत्री मोदी चुनावी सभा में उन्हें ‘दीदी ओ दीदी’ कहकर ललकारते थे लेकिन ममता को हिला नहीं पाए।प्लास्टर बंधे पैर के बावजूद दीदी ने चुनाव जीता था।अब यह बताइए कि केंद्र सरकार ने दीदी अर्थात ममता बनर्जी का प्रभाव कम करने के लिए कौन सा तरीका निकाला?’ हमने कहा, ‘मोदी ने दिखा दिया कि अकेली ममता बनर्जी दीदी नहीं हैं।उन्होंने करोड़पति दीदी और ड्रोन दीदी जैसी योजनाएं शुरू कर महिलाओं को स्वावलंबी बनाना शुरू किया।
खेतों में ड्रोन उड़ाकर उसके जरिए खाद और कीटनाशक का छिड़काव या फिर जंगल-पहाड़ में प्लांटेशन करने के लिए बीज डालने के उद्देश्य से ड्रोन का इस्तेमाल करनेवाली महिलाएं ड्रोन दीदी कहलाती हैं।उन्हें इसका प्रशिक्षण दिया गया है।इस तरह देखा जाए तो बंगाल में एक दीदी है लेकिन मोदी के पास अनेक दीदी हैं।’
पड़ोसी ने कहा, ‘क्या आपको ऐसा लगता है कि मोदी ने ढेर सारी दीदी बनाकर बंगाल की ममता दीदी का महत्व कम कर दिया है?’ हमने कहा, ‘दीदी कहां नहीं हैं! शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘मंझली दीदी’ नामक कहानी लिखी थी।भारतीय घरों में बड़ी बहन को दीदी कहते हैं।देवरानी अपनी जेठानी को दीदी संबोधित करती है।आपने फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ का गीत सुना होगा- दीदी तेरा देवर दीवाना, हाय राम कुड़ियों को डाले दाना!’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा