ट्रंप की दादागिरी के सामने नहीं झुकेगा भारत (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाली चीजों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है, जिससे यह बढ़कर अब 50 प्रतिशत हो गया है। अनुमान है कि इससे टेक्सटाइल, मरीन (समुद्री) व चमड़ा सेक्टर्स के भारतीय निर्यात पर गहरा असर पड़ेगा। ट्रंप ने जुर्माने के तौर पर यह अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, क्योंकि भारत रूस से तेल आयात कर रहा है। हालांकि चीन व तुर्किए भी रूस से आयात कर रहे हैं, लेकिन ट्रंप ने अतिरिक्त टैरिफ या जुर्माना केवल भारत पर ही लगाया है। चीन पर 30 प्रतिशत टैरिफ और तुर्किए पर 15 प्रतिशत टैरिफ भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ से बहुत कम है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप की इस ‘हरकत’ को ‘अनुचित, अन्यायपूर्ण व अतार्किक’ बताते हुए कहा है कि अमेरिका द्वारा भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है और अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखने के लिए भारत सभी आवश्यक कदम उठाएगा। वाशिंगटन का सबसे अधिक गुड्स व्यापार घाटा बीजिंग के साथ ही है- 2024 में लगभग 295 बिलियन डॉलर। एक समय ट्रंप ने चीन पर 145 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया था, लेकिन जैसे ही चीन ने जवाब में दुर्लभ धातुओं की सप्लाई पर रोक लगा दी तो ट्रंप को अक्ल आ गई कि ड्रैगन से पंगा महंगा पड़ेगा।
अब चीन पर 30 प्रतिशत टैरिफ है। अगर ट्रंप को रूस के तेल से परेशानी है तो चीन व तुर्किए भी तो इस तेल के बड़े खरीदार हैं, इसके बावजूद उन पर कोई ‘जुर्माना’ नहीं लगाया गया है। अमेरिका खुद भी तो बहुत सी चीजें रूस से आयात करता है, लेकिन ट्रंप का कहना है कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं मालूम! अजीब राष्ट्रपति है, जो यह भी नहीं जानता कि इसका देश कहां से क्या चीज ले रहा है। तभी एक अमेरिकी टिप्पणीकार ने कहा कि बेवकूफ ट्रंप नहीं हैं बल्कि अमेरिका के नागरिक हैं, जिन्होंने एक बार आजमाने के बावजूद ट्रंप को दोबारा अपना राष्ट्रपति चुना। वैसे अब उन भारतीयों का भी मुंह उतर गया है, जो ट्रंप की जीत के लिए हवन करा रहे थे और ट्रंप को भारत को दोस्त समझकर ‘अब। की बार ट्रंप सरकार’ के नारे लगा रहे थे। यह कहा जा सकता है कि ट्रंप कुंठित होकर ऐसी हरकतें कर रहे हैं। शायद ट्रंप यह सोचते हैं कि तेल राजस्व रोकने से पुतिन वार्ता मेज पर आ जायेंगे। चूंकि इस समय ट्रंप चीन को छेड़ने की स्थिति में नहीं हैं व तुर्किए नाटो का सदस्य है, इसलिए शायद उन्हें भारत सॉफ्ट टारगेट प्रतीत हो रहा है लेकिन यही ट्रंप की बहुत बड़ी गलती है। पिछले लगभग 80 वर्षों से भारत का इतिहास रहा है कि वह किसी की दादागिरी के आगे झुकता नहीं है। 1971 में अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने सातवां बेड़ा भेजने की धमकी दी थी, जिस पर भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था जो करना हो कर लो, हम बांग्लादेश को आजाद करवाकर रहेंगे और यही हुआ भी।
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रूसी तेल पर वर्तमान डिस्काउंट इतना कम है कि भारत साल में 2 बिलियन डॉलर से अधिक की बचत नहीं कर पाता। भारत आसानी से पश्चिम एशिया से तेल ले सकता है, लेकिन उससे जो क्रूड के दामों में वृद्धि होगी, उससे सभी प्रभावित होंगे। हालांकि अमेरिका से व्यापार समझौते की वार्ता जारी रहेगी, लेकिन भारतीय निर्यातक दबाव में हैं, इसलिए दिल्ली को चाहिए कि अन्य देशों से व्यापार समझौतों को वरीयता दे। ट्रंप ने जुलाई में कहा था, ‘यह नहीं चलेगा कि आप भारतीयों को नौकरी दें, चीन में फैक्ट्री लगायें और आयरलैंड में मुनाफा जमा करें।’ इस अनिश्चित नये संसार में भारत के लिए आवश्यक है कि वह आत्मनिर्भर बने और सभी देशों से व्यापार समझौते करे तभी ट्रंप की दादागिरी को मुंहतोड़ जवाब देना आसान होगा।
लेख- विजय कपूर के द्वारा