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झारखंड में शर्मसार हुई इंसानियत, एंबुलेंस नहीं मिली तो झोले में बेटे का शव लेकर घर पहुंचा मजबूर पिता

Chaibasa Sadar Hospital: झारखंड के चाईबासा सदर अस्पताल में एंबुलेंस न मिलने पर एक आदिवासी पिता अपने चार साल के बेटे का शव थैले में रखकर गांव पहुंचा। घटना ने राज्य के स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी।

  • By प्रतीक पांडेय
Updated On: Dec 20, 2025 | 01:05 PM

एंबुलेंस नहीं मिली तो झोले में बेटे का शव लेकर घर पहुंचा मजबूर पिता, फोटो- सोशल मीडिया

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Jharkhand Health System Failure: झारखंड के चाईबासा से मानवता को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है। सदर अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता के कारण एक मजबूर आदिवासी पिता को अपने मृत बच्चे का शव झोले में भरकर ले जाना पड़ा। घंटों इंतजार के बाद भी जब एंबुलेंस नहीं मिली, तो लाचार पिता पैदल ही गांव की ओर निकल पड़ा।

घटना चाईबासा सदर अस्पताल की है। नोवामुण्डी प्रखंड के बालजोड़ी गांव के निवासी डिम्बा चातोम्बा अपने चार वर्षीय बेटे को गंभीर स्थिति में इलाज के लिए दो दिन पहले अस्पताल लेकर आए थे। बच्चे की हालत नाजुक थी और उसका उपचार चल रहा था, लेकिन शुक्रवार (19 दिसंबर) को इलाज के दौरान मासूम ने दम तोड़ दिया। इस आकस्मिक मृत्यु से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन असली परीक्षा अभी बाकी थी।

घंटों की मिन्नतें, पर नहीं मिली एंबुलेंस

बेटे की मौत के बाद शोकाकुल पिता डिम्बा चातोम्बा ने अस्पताल प्रशासन से शव को गांव तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध कराने की बार-बार गुहार लगाई। डिम्बा ने बताया कि उन्होंने घंटों तक अस्पताल परिसर में एंबुलेंस का इंतजार किया, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। गरीब पिता के पास न तो कोई अपना निजी वाहन था और न ही उसके पास इतने पैसे थे कि वह बाहर से किसी निजी वाहन का किराया वहन कर सके।

झोले में मासूम का शव- हार गया सिस्टम

जब सरकारी तंत्र और अस्पताल प्रशासन से कोई उम्मीद नहीं बची, तो डिम्बा चातोम्बा व्यवस्था के सामने हार मान गए। उन्होंने अपने कलेजे के टुकड़े के शव को एक साधारण झोले (थैले) में रखा और चाईबासा सदर अस्पताल से नोवामुण्डी स्थित अपने गांव ‘बालजोड़ी’ की ओर अकेले ही पैदल निकल पड़े। वह पिता जब थैले में बच्चे का शव लेकर गांव पहुंचा, तो यह दृश्य देखकर ग्रामीणों का दिल दहल गया और पूरा इलाका स्तब्ध रह गया।

यह भी पढ़ें: IGI एयरपोर्ट पर पायलट ने की गुंडागर्दी, बेटी के सामने यात्री की पिटाई, एयरलाइन ने लिया एक्शन

सरकारी दावों और जमीनी हकीकत का अंतर

यह घटना झारखंड सरकार द्वारा किए जाने वाले बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावों की पोल खोलती है। ग्रामीणों ने इस अमानवीय घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल के लचर सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। लोगों का कहना है कि एक तरफ सरकार करोड़ों खर्च करने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ एक गरीब आदिवासी को अपने बच्चे की अंतिम विदाई गरिमा के साथ देने के लिए एक एंबुलेंस तक नसीब नहीं हुई।

In jharkhand father did not get ambulance service for his dead son carries body in a bag

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Published On: Dec 20, 2025 | 12:17 PM

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