शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देने पहुंचे बाबा रामदेव, फोटो- सोशल मीडिया
Baba Ramdev at Shibu Soren Bhoj: बाबा रामदेव के साथ देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी नेमरा पहुंचकर शिबू सोरेन श्रद्धांजलि दी। दोनों ने शिबू सोरेन की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तथा उनके परिवार से मुलाकात कर संवेदना जताई।
बाबा रामदेव ने इस दौरान मुख्यमंत्री की माता रूपी सोरेन के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद भी लिया। वहीं मुख्यमंत्री आवास की ओर से सोशल मीडिया पर इस मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा गया कि बाबा रामदेव ने दिशोम गुरु को श्रद्धांजलि देकर आदर भाव प्रकट किया। इस पूरे मौके पर बाबा रामदेव के भावपूर्वक श्रद्धांजलि देने की चर्चा खूब रही।
दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के संस्कार भोज में शामिल होने हेतु बाबा रामदेव नेमरा पहुंचे। बाबा रामदेव ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री @HemantSorenJMM एवं परिवार के सदस्यों से मुलाकात कर अपनी संवेदना व्यक्त की। pic.twitter.com/CIlGQjog1P
— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) August 16, 2025
पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का 4 अगस्त 2025 को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव नेमरा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा संपन्न कराया गया। सभी अंतिम संस्कार से जुड़ी परंपराएं नमेरा में ही पूरी की जा रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी नेमरा पहुंचे और शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने शोकाकुल परिजनों से मुलाकात कर गहरा दुख व्यक्त किया।
संस्कार भोज में देशभर से मेहमानों के पहुंचने की संभावना को देखते हुए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। लगभग 2,500 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। आगंतुकों की सुविधा के लिए 300 से ज्यादा ई-रिक्शा लगाए गए थे, जो पार्किंग स्थल से कार्यक्रम स्थल तक लोगों को लाने-ले जाने का कार्य कर रहे थे।
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संस्कार भोज के लिए करीब दो लाख से भी अधिक लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई थी। खाने में 12 से अधिक व्यंजनों को परोसा गया, जिसमें शाकाहारी और मांसाहारी दोनों विकल्प मौजूद थे। खासतौर पर दाल-चावल, मछली फ्राई और मटन जैसे व्यंजन बड़ी मात्रा में तैयार किए गए। इस मौके पर न केवल झारखंड बल्कि आसपास के राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे। यह आयोजन शिबू सोरेन के जीवन और उनके आदिवासी समाज के योगदान की एक महान स्मृति बन गया।