जम्मू कश्मीर विधानसभा (सौजन्य: सोशल मीडिया)
श्रीनगर: वक्फ कानून बनने के बाद भी सदन में लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। जम्मू कश्मीर विधानसभा में मंगलवार को दूसरे दिन भी हंगमा जारी रहा। नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रस्ताव पर भाजपा विधायकों ने जमकर विरोध किया। नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक वक्फ चर्चा करने की मांग कर रहे थे जिसका भाजपा नेता विरोध कर रहे थे। इस दौरान सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही हंगामा शुरू हो गया।
विधानसभा की कार्यवाही दूसरे दिन भी हंगामे के साथ शुरू हुई। सोमवार को भी संसद का माहौल कुछ ऐसा ही था। वक्फ कानून को लेकर नेकां के विधायक लंबी चर्चा करने के मूड में थे लेकिन भाजपा विधायक इसका विरोध कर रहे थे। विधायकों ने वक्फ कानून के विरोध नारे लिखे कागज को फाड़ दिया था जिसके बाद नोकझोंक बढ़ गई थी।
हंगामे की भेंट चढ़ी सदन की कार्यवाही
जम्मू कश्मीर में विधानसभा की कार्यवाही आज बी हंगामे की भेंट चढ़ गई। नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक और भाजपा के विधायकों के बीच नोकझोंक शुरू हो गई। विधानसभा का बजट सत्र 13 दिनों के बाद शुरू हुआ तो पहले दिन के बाद दूसरे दिन भी वक्फ कानून को लेकर दोनों पक्ष आमने सामने हो गए। सत्तापक्ष के तनवीर सादिक, कांग्रेस, पीडीपी और निर्दलीय विधायकों ने वक्फ कानून पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव लाने की मांग की लेकिन स्पीकर एडवोकेट अब्दुल रहीम राथर ने मांग को खारिज कर दिया।
न्यायालय में विचाराधीन मामलों पर चर्चा की अनुमति नहीं
विधानसभा स्पीकर ने कहा कि सेक्शन 58 उपनियम के मुताबिक न्यायालय में विचाराधीन मामलों पर चर्चा किए जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उनके रोक लगाने के बाद सत्ताधारी दल के नेता चर्चा करने की मांग पर अड़ गए। विधायक वेल में आकर हंगामा के साथ नारेबाजी करने लगे। जबकि भाजपा के विधायक कानून के समर्थन में नारे लगाने लगे। भाजपाइयों का कहना था कि वक्फ कानून देश की दोनों सदनों ने पास किया है। ऐसे में जम्मू कश्मीर विधानसभा में इस पर चर्चा नहीं हो सकती है।
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नेकां विधायक मुबारक गुल ने कहा- विधानसभा में चर्चा जरूरी
विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक मुबारक गुल ने कहा कि किसी भी सेंसेटिव मुद्दे पर चर्चा होनी जरूरी है। जम्मू कश्मीर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के नाते यहां के लोगों के हित में वक्फ कानून पर चर्चा जरूरी है, लेकिन ये लोग चाहते हैं कि हम अपने मुंह पर ताले लगा लें। कश्मीर के मुसलमानों को इस कानून का पूरा सच पता ही न चल सके ताकि कोई इसकी खिलाफत ही न कर सके।