जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM फारूक अब्दुल्ला (फोटो- सोशल मीडिया)
Farooq Statement on Article 370 Anniversary: फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि छह साल बीतने के बाद भी जम्मू-कश्मीर में कोई स्थायी शांति नजर नहीं आ रही है। उन्होंने सवाल किया कि केंद्र सरकार ने इस अवधि को दौरान में क्या उपलब्धियां हासिल कीं? उन्होंने कहा कि जिस दिशा में देश जा रहा है, वह बेहद चिंताजनक है और इससे उन्हें गहरा दुख होता है। कुलगाम में चल रहे एनकाउंटर का हवाला देते हुए उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए।
अनुच्छेद 370 हटाए जाने की छठी बरसी पर जम्मू-कश्मीर की सियासत एक बार फिर हलचल मच गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने इस मौके पर सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए उन्होंने पड़ोसी देशों पाकिस्तान व चीन को एक मजबूत पड़ोसी बताते हुए वार नहीं, टेबल पर टॉक की बात कही। उन्होंने कश्मीर में कोई भी शांति न दिखने और इसके साथ ही राज्य का दर्जा न लौटाए जाने को लेकर भी गहरी नाराजगी जाहिर की। फारूक अब्दुल्ला के इस बयान से राजनीतिक हलको में चर्चाएं खूब तेज हो गई है।
#WATCH | Srinagar | National Conference president, Dr Farooq Abdullah says, “…I don’t see peace coming. I think we are living in a fool’s paradise to think that peace will come overnight. We have a strong neighbour, whether it is China or Pakistan. Somehow, we have to find a… pic.twitter.com/PRpnIIbfZa — ANI (@ANI) August 5, 2025
डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 की बरसी पर कहा, मुझे नहीं लगता कि जम्मू-कश्मीर में रातोंरात शांति आ जाएगी। हम यह सोचकर गलती कर रहे हैं कि हिंसा का हल बंदूक से निकलेगा। उन्होंने आगे कहा, हमारे पड़ोसी पाकिस्तान और चीन मजबूत देश हैं। तो हमें बातचीत का रास्ता खोजना होगा। जंग कभी समाधान नहीं हो सकता। हमें कलम उठानी होगी, संवाद की पहल करनी होगी। अब्दुल्ला के इस बयान ने केंद्र सरकार की नीतियों पर सीधा सवाल उठाया है। फारूक ने दो टूक कहा कि विकास और सुरक्षा के नाम पर अब तक दिखावा ही हुआ है।
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फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से पूछा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा कब वापस मिलेगा? उन्होंने कहा कि लोगों को लगातार भ्रम में रखा जा रहा है। साथ ही, सरकार द्वारा किए गए दावों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, छह साल हो गए, लेकिन यहां की हालत में क्या सुधार आया? उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में विकास और स्थिरता के दावे कर रही है। अब्दुल्ला का यह तीखा रुख विपक्ष को नए सिरे से सक्रिय कर सकता है।