इंजीनियर राशिद, फोटो - मीडिया गैलरी
नई दिल्ली : जहां एक तरफ दिल्ली हाई कोर्ट ने जेल में बंद जम्मू-कश्मीर के सांसद शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद की याचिका पर बीते 25 मार्च को सुनवाई तय की है। याचिका में उन्होंने संसद के मौजूदा सत्र में शामिल होने की अनुमति मांगी है। वहीं आज यानी 19 मार्च को निचली अदालत इंजीनियर रशीद की नियमित जमानत याचिका पर फैसला सुनाने वाली है।
इस बाबत बीते 18 मार्च को जस्टीस चंद्र धारी सिंह और जस्टीस अनूप जे भंभानी की पीठ ने सुनवाई तब स्थगित कर दी थी जब राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) के वकील ने कहा था कि बारामूला के निर्दलीय सांसद की नियमित जमानत याचिका पर निचली अदालत 19 मार्च को फैसला सुनाने वाली है। रशीद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें बीते सोमवार शाम को याचिका पर एजेंसी का जवाब मिला था।
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जानकारी दें कि, रशीद पर 2017 के आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मुकदमा चल रहा है। उन्होंने बीते 10 मार्च के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें चार अप्रैल तक लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए अभिरक्षा पैरोल या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
इस बाबत NIA ने दलील दी थी कि रशीद को न तो अंतरिम जमानत दी जा सकती है और न ही अभिरक्षा पैरोल दी जा सकती है, क्योंकि हिरासत में रहते हुए उन्हें संसद सत्र में भाग लेने का कोई अधिकार नहीं है। जांच एजेंसी ने रशीद पर ‘फोरम शॉपिंग’ और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘‘निर्वाचन क्षेत्र की सेवा” करने के उनके इरादे से संबंधित ‘‘अस्पष्ट कथनों” के मद्देनजर उन्हें राहत देने का कोई वैध आधार नहीं है।
NIA ने कहा था कि, लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के समय, एक विशेष अदालत द्वारा रशीद के खिलाफ मामले में आरोप तय किए गए और मुकदमा चल रहा है। NIA ने कहा था कि, आरोपी को पता है कि वह यूएपीए के तहत दंडनीय गंभीर अपराधों के लिए न्यायिक हिरासत में है और इसलिए लोकसभा सदस्य के रूप में उसके चुनाव से कोई फर्क नहीं पड़ता। उसने कहा कि इसका इस्तेमाल वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को सेवाएं प्रदान करने की आड़ में अंतरिम जमानत पाने के साधन के रूप में नहीं कर सकते।
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रशीद को जम्मू कश्मीर में गवाहों को प्रभावित करने के लिहाज से एक ‘‘अत्यधिक प्रभावशाली” व्यक्ति बताते हुए एजेंसी ने कहा, ‘‘UAPA की धारा 43डी(5) के तहत आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती है, यदि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि आरोपी के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सत्य हैं।” उसने कहा कि साथ ही अपील यूएपीए की धारा 43डी(5) के तहत निर्धारित दोहरे परीक्षणों को भी संतुष्ट नहीं करती है और तदनुसार, अपील खारिज किए जाने योग्य है।
संसद सत्र में भाग लेने के लिए याचिकाकर्ता को आमंत्रित करने के वास्ते भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए समन को ‘‘नियमित औपचारिकता” बताया गया, जो सभी सांसदों को भेजा गया था, न कि केवल रशीद को। NIAने कहा कि रशीद की नियमित जमानत याचिका पर आदेश 19 मार्च को आया था और लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने के वास्ते अंतरिम जमानत के लिए उनकी पिछली याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। बीते 12 मार्च को, हाई कोर्ट ने रशीद की अपील पर NIAका रुख पूछा था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)