प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (डिजाइन फोटो)
PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल यानी बुधवार 17 सितंबर को 75 वर्ष के होने जा रहे हैं। उससे एक दिन पहले सियासी गलियारों में बवाल उठ खड़ा हुआ है। पीएम मोदी के रिटायरमेंट को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं। क्योंकि ’75 वर्ष’ बीजेपी की वो सीमारेखा है जिसके चलते पार्टी के कई नेताओं को सक्रिय राजनीति से हटना पड़ा।
इसी नियम का पालन करते हुए 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। दोनों ही दिग्गज नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया था। आडवाणी और जोशी ने चुनाव नहीं लड़ा।
इसी तरह कलराज मिश्र को भी 2014 में मंत्री बनाया गया था। लेकिन साल 2016 में 75 वर्ष की आयु पूरी करने के अगले साल यानी 2017 में उन्होंने मंत्रिपद का त्याग कर दिया। इसके बाद मिश्र को 2019 में राज्यपाल बनाकर सक्रिय राजनीति से दूर कर दिया गया।
इसके अलावा बीसी खंडूरी और शांता कुमार जैसे बड़े नेताओं के मामले में ऐसा ही कुछ देखने को मिला था। दोनों ही नेताओं को 75 वर्ष की उम्र पार कर जाने के चलते मोदी सरकार 1.0 के मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। इसके बाद खंडूरी और कुमार ने साल 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। इन्हीं मामलों को लेकर विपक्षी पार्टी के नेता पीएम मोदी को निशाना बना रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक मनोज सिंह ने कहा, “सही मायनों में मोदी जी को 75 वर्ष का पूर्ण होने से पहले ही पीएम की कुर्सी त्याग देनी चाहिए। लेकिन वह ऐसा नहीं करेंगे और 75 वर्ष के होकर भी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कुंडली मारकर बैठे रहेंगे।”
सपा के राष्ट्रीय महासचिव मनोज सिंह (सोर्स- सोशल मीडिया)
मनोज सिंह ने आगे कहा, आडवाणी और जोशी का हवाला देते हुए कहा, “जब मोदी जी की खुद की बारी आई तो अपना ही बनाया नियम ताक पर रख दिया। यही भारतीय जनता पार्टी का चाल-चरित्र और चेहरा है। इनकी कथनी और करनी में इसी तरह का अंतर ग्राउंड पर भी देखने को मिलता है।”
देश के राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेन्द्र शुक्ला ने इस मुद्दे को लेकर बाचतीच में कहा, “फिलहाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बरक्स उनके जैसे कद वाला या उनके जैसी लोकप्रियता और साफ सुथरी छवि रखने वाला नेता न तो भारतीय जनता पार्टी में है और न ही विपक्षी दलों में। इस लिहाज से उनके प्रधानमंत्री बने रहने में कोई हर्ज नहीं है।”
वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेन्द्र शुक्ला (सोर्स- सोशल मीडिया)
उन्होंने आगे कहा, “नियम के तराजू पर रखकर देखें तो भी उनका पीएम की कुर्सी पर बने रहना उचित है। हमारा देश संविधान से चलता है। जब संविधान में समय, काल और परिस्थिति के अनुरूप संशोधन होते रहते हैं तो पार्टी के अलिखित नियम में भी हो सकते हैं। वहीं, नैतिकता के लिहाज से इस पर चर्चा हो सकती है।”
हालांकि, कर्नाटक में इस नियम का अपवाद पहले ही देखने को मिल चुका है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी साल 18 में ही 75 वर्ष पूरे कर चुके थे। इसके बावजूद 2019 में जब बीएस येदियुरप्पा को कर्नाटक का मुखिया बनाया गया था। तब उनकी उम्र 76 वर्ष 4 महीने और 29 दिन हो चुकी थी। हालांकि उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया और 2021 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
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फिलहाल, पीएम मोदी 75 वर्ष पूरे करने के पश्चात कुर्सी छोड़ेंगे या नहीं? वह, अगले आम चुनाव यानी 2029 में भी पीएम फेस रहेंगे या नहीं रहेंगे? यह सवाल सियासी गलियारों की बहस का मुद्दे हैं। इसे लेकर आखिरी निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को ही लेना है।