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नई दिल्ली: महिला आरक्षण बिल की बात उठी है तो इसे जानने के लिए आज से 27 साल पीछे जाते हैं। साल 1996, एचडी देवगौड़ा की सरकार थी। इनके कार्यकाल में 12 सितंबर 1996 को महिला आरक्षण बिल संसद में पेश हुआ था। लेकिन पारित नहीं हो सका था। उस समय यह बिल 81 वें संशोधन विधेयक के रूप में पेश हुआ था।
बिल में संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव था। इस 33 फीसदी आरक्षण के भीतर ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए उप-आरक्षण का प्रावधान था, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं था। इस बिल में प्रस्ताव है कि लोकसभा के हर चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के जरिए आवंटित की जा सकती है। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण खत्म हो जाएगा।
वाजपेयी और UPA सरकार में हुई लागू करने की कोशिशें:
आज से 25 साल पहले बीजेपी यानी अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार थी। तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1998 में लोकसभा में इस विधेयक को आगे बढ़ाया और फिर महिला आरक्षण बिल को पेश किया, लेकिन ये फिर भी पारित नहीं हो सका। जबकि अटल बिहारी वाजपेयी ने 1998 में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में 33 फीसदी आरक्षण का जिक्र किया था।
वाजपेयी की सरकार में ये थी दिक्कतें
अटल बिहारी वाजपेयी की 1998 की सरकार ने कई दलों के सहयोग से चल रही थी। वाजपेयी सरकार को इसको लेकर विरोध का सामना करना पड़ा। इस वजह से यह पारित नहीं हो सका था। वाजपेयी सरकार ने इसे 1999, 2002 और 2003-2004 में भी पारित कराने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाई।
UPA सरकार में राज्यसभा में भारी बहुमत से पारित हुआ था बिल
2004 में बीजेपी सरकार के जाने के बाद कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार सत्ता में आई और डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने। यूपीए सरकार ने 2008 में इस बिल को 108वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में राज्यसभा में पेश किया। वहां यह बिल नौ मार्च 2010 को भारी बहुमत से पारित हुआ था। बीजेपी, वाम दलों और जेडीयू ने बिल का समर्थन किया था। इसका विरोध करने वालों में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल शामिल थीं।
यूपीए सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया क्योंकि इसका विरोध करने वालों में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ये दोनों दल यूपीए का हिस्सा थे। कांग्रेस को डर था कि अगर उसने बिल को लोकसभा में पेश किया तो उसकी सरकार खतरे में पड़ सकती है।
महिला आरक्षण 20 फीसदी से अधिक न हो
साल 2008 में इस बिल को कानून और न्याय संबंधी स्थायी समिति को भेजा गया था। इसके दो सदस्य वीरेंद्र भाटिया और शैलेंद्र कुमार जोकि दोनों लोग समाजवादी पार्टी के थे। इन लोगों ने कहा कि वे महिला आरक्षण के विरोधी नहीं हैं लेकिन जिस तरह से बिल का मसौदा तैयार किया गया, वे उससे सहमत नहीं थे। दोनों सदस्यों की सिफारिश की थी कि महिला आरक्षण 20 फीसदी से ज्यादा न हो।
साल 2014 में लोकसभा भंग के बाद बिल खत्म हो गया
साल 2014 में लोकसभा भंग होने के बाद यह बिल अपने आप खत्म हो गया, चूंकि राज्यसभा स्थायी सदन है, इसलिए यह बिल अभी जिंदा है। अब इसे लोकसभा में नए सिरे से पेश करना पड़ेगा। अगर लोकसभा इसे पारित कर दे, तो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा।
लोकसभा की हर तीसरी सदस्य महिला होगी
महिला आरक्षण बिल अगर लोकसभा में पारित हो जाएगा तो यह बिल कानून बन जाता है तो 2024 के चुनाव में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिल जाएगा। इससे लोकसभा की हर तीसरी सदस्य महिला होगी।
महिला आरक्षण बिल पर मोदी सरकार के पक्ष में कांग्रेस
संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र सोमवार को यानी 18 सितंबर से शुरू हो गया। संसद के इस विशेष सत्र के दौरान केंद्र सरकार की ओर से 8 विधेयक पेश किए जाने हैं। इस बीच चर्चा है कि संसद के विशेष सत्र में ही मोदी सरकार महिला आरक्षण बिल ला सकती है। सोमवार की शाम को हुई मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी गई है।
विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में बिल लाने की वकालत
संसद के विशेष सत्र शुरू होने से एक दिन पहले रविवार के दिन 17 सितंबर को हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के ज्यादातर नेताओं ने महिला आरक्षण बिल लाने की वकालत की थी। मोदी सरकार की ओर से आगामी बुधवार यानी 20 सितंबर को महिला आरक्षण बिल पेश कर सकती है।
पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी
संविधान के अनुच्छेद 243D के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण दिया गया है। अनुच्छेद 243D ने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की। चुनाव से भरी जाने वाली सीटों की कुल संख्या और पंचायतों के अध्यक्षों के पदों की संख्या में महिलाओं के लिए कम से कम एक तिहाई आरक्षण है।