जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू (सौजन्य- सोशल मीडिया)
दिल्ली: लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद दो टर्म काफी ट्रेंड कर रहा है। पहला विशेष राज्य का दर्जा और दूसरा विशेष श्रेणी का दर्जा शब्द ट्रेंड में है। ये दोनों टर्म तब ट्रेंड में आया जब मुश्किल में घीरी बीजेपी को अपने सहयोगी दल की जरुरत पड़ी। दरअसल एनडीए गठबंधन में शामिल टीडीपी और जेडीयू द्वारा केंद्र सरकार से ये मांग सालों पुरानी है। लेकिन अब सरकार बनाने के लिए बीजेपी को जब उनकी सख्त जरुरत है तो ये मांगे फिर से सामने आने लगी। एक जैसा लगने वाला ये दोनों टर्म काफी अलग है।
विशेष राज्य का दर्जा का मतलब होता है किसी भी राज्य को विशेष अधिकार देना। यह अधिकार विधायी और राजनीतिक दोनों तरह के होते हैं। इस दर्जे के साथ राज्य को केंद्र सरकार की ओर से विशेष सुविधाएं दी जाती है। वहीं विशेष श्रेणी का दर्जा उन राज्यों को दिया जाता है जो कि भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा हो। जिससे की उस राज्य को वित्तीय और अन्य तरह की सहायता दिया जा सके ताकि वो राज्य जल्द से जल्द विकास करे।
बता दें कि भारत के संविधान में विशेष श्रेणी का दर्जा देने का अब कोई प्रावधान नहीं है। इसे 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिश पर असम, नागालैंड और जम्मू और कश्मीर को यह दर्जा दिया गया था। जिसके बाद इन राज्यों का काफी विकास हुआ। विकास दर को देखते हुए और राज्यों का हाल देखते हुए इसे बाद में मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को भी यह दर्जा दिया गया। जिससे इन राज्यों का विकास काफी तेजी से हुआ। इन राज्यों की तरक्की को देखते हुए दूसरे राज्यों द्वारा भी इस दर्जा की मांग की जाने लगी। दोनों दर्जों में एक खास अंतर होता है। वो अंतर यह है कि विशेष श्रेणी का दर्जा आर्थिक और वित्तीय पहलुओं से जुड़ा होता है। वहीं विशेष राज्य का दर्जा विधायी और राजनीतिक अधिकारों से भी जुड़ा होता है।
एनडीए गठबंधन में शामिल सहयोगी दल जेडीयू और टीडीपी विशेष विशेष श्रेणी का दर्जा की मांग कर रहे हैं। जिससे की राज्यों को आर्थिक मदद मिले और इन राज्यों का जल्द से जल्द विकास हो। इस दर्जे की मदद से केंद्र सरकार की मदद से जल्द ही दोनों राज्य विकास करेगा। सभी केंद्रीय योजनाओं का लाभ भी अधिक से अधिक मिलेगा। बता दें कि बिहार बीमारू राज्य के अंदर आने वाला राज्य है। जो अभी तक इससे बाहर नहीं आ पाया।