मेडे कॉल (सौ. सोशल मीडिया )
गुरूवार को गुजरात के अहमदाबाद में एक बहुत भयंकर प्लेन क्रैश की घटना हुई है। जानकारी के अनुसार, ये प्लेन अहमदाबाद से लंदन की ओर जा रहा था और टेकऑफ के तुरंत बाद ये हादसे का शिकार हो गया है।
इस हादसे से ठीक पहले एटीसी को मेडे कॉल किया गया था। DGCA ने अपने आधिकारिक बयान में ये कहा है कि इसके बाद एयर इंडिया के प्लेन ने एटीसी के कॉल का कोई रिप्लाई नहीं दिया। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में डीजीसीए के हवाले से ये खबर आ रही है कि पायलट ने एटीसी को मेडे कॉल दिया था, लेकिन उसके कुछ देर बाद एटीसी के द्वारा जवाबी कॉल किए जाने पर इसका कोई रिप्लाई नहीं मिला था। बताया जा रहा है कि रनवे से टेकऑफ करने के तुरंत बाद ही ये प्लेन एयरपोर्ट की सीमा के बाहर गिर गया। घटनास्थल से भारी काला धुआं निकलता हुआ नजर आ रहा है। आइए जानते हैं कि आखिर मेडे कॉल होता क्या है?
एविएशन इंडस्ट्री की भाषा में मेडे कॉल एक इमरजेंसी सिग्नल होता है। जिसका उपयोग जान बचाने के लिए किया जाता है। इस शब्द का इस्तेमाल विशेष तौर पर प्लेन और समुद्री जहाजों में होता है। आग लगने या पुलिस कार्रवाई के दौरान भी इसका उपयोग किया जाता है। इमरजेंसी के समय मेडे, मेडे,मेड शब्द को 3 बार दोहराया जाता है। ये कॉल बाकी सभी कॉल्स से काफी अलग होता है। अमेरिका की फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, इस शब्द का उपयोग एक तय फॉर्मेट के अंतर्गत ही किया जाता है। इस फॉर्मेट के अंतर्गत, मेडे कॉल, संबंधित स्टेशन, इमरजेंसी किस प्रकार की है, मौसम कैसा है, जिस फ्लाइट को कॉल किया गया है उसका साइन, पायलट की क्या डिमांड है, हालात, हाईट कितनी है, फ्यूल कितना है और पैसेंजर्स की संख्या से संबंधित जानकारी शामिल होती है।
Ahmedabad Plane Crash: उड़ान भरते ही आग का गोला बन गया विमान, 6 VIDEOS में देखें कितना भीषण था हादसा
लंदन में फ्रेडरिक स्टेनली मॉकफोर्ड नाम के एक सीनियर रेडिओ ऑफिसर को साल 1921 में एक ऐसा शब्द खोजने के लिए कहा गया था, जिसका उपयोग खतरे और इमरजेंसी की सिट्यूएशन को बता सके। ये एक ऐसा शब्द होना था जिसे पायलटों और ग्राउंड स्टाफ के द्वारा आसानी से समझा जा सके। इसीलिए उन्होंने इसके लिए मेडे शब्द को चुना। ये शब्द फ्रेंच भाषा के ‘m’aider’ से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है मेरी मदद करो। इससे पहले SOS और मोर्स कोड का उपयोग इसी काम के लिए किया जाता था।