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30 लाख वाली ‘जादुई’ खिड़की…विनोद कुमार शुक्ल ने रच दिया था इतिहास, हैरान रह गया था साहित्य जगत

Vinod Kumar Shukla: छत्तीसगढ़ के रायपुर में बेहद सादगी भरा जीवन जीने वाले 88 वर्षीय विनोद कुमार शुक्ल अपनी विशेष लेखन शैली के लिए जाने जाते थे। शब्दों छोटे और सरल लेकिन काफी असरदार होते हैं।

  • By मनोज आर्या
Updated On: Dec 23, 2025 | 06:36 PM

विनोद कुमार शुक्ल, (फाइल फोटो)

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Vinod Kumar Shukla Passed Away: हिंदी साहित्य के कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल का आज 89 साल की उम्र में निधन हो गया। छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित एम्स अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। लंबे समय से वह बीमार चल रहे थे और आज मंगलवार को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। हिंदी साहित्य जगत में उन्होंने कई ऐतिहासिक काम किए हैं। हालांकि, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ जैसे कालजयी उपन्यासों ने कीर्तिमान स्थापित किया है।

इस रचना ने पूरे साहित्यिक गलियारे को चौंका दिया था। दरअसल,  विनोद कुमार शुक्ल को अपनी किताबों के लिए एक प्रतिष्ठित पब्लिकेशन हाउस से 30 लाख रुपये की रॉयल्टी मिली थी, जो हिंदी लेखन के क्षेत्र में एक दुर्लभ और ऐतिहासिक घटना के रूप में देखी गई थी।

हिंदी साहित्य भी अंग्रेजी की तरह सफल

छत्तीसगढ़ के रायपुर में बेहद सादगी भरा जीवन जीने वाले 88 वर्षीय विनोद कुमार शुक्ल अपनी विशिष्ट लेखन शैली के लिए जाने जाते थे। उनके शब्द छोटे और सरल होते हैं, लेकिन उनका अर्थ ब्रह्मांड जितना गहरा होता है। हाल ही में उन्हें मिले इस सम्मान और रॉयल्टी ने यह साबित कर दिया है कि यदि रचना में दम हो, तो हिंदी साहित्य भी व्यावसायिक रूप से उतना ही सफल हो सकता है जितना कि अंग्रेजी साहित्य।

विवादों के बाद मिला सम्मान

गौरतलब है कि कुछ समय पहले विनोद कुमार शुक्ल और उनके प्रकाशकों के बीच रॉयल्टी के भुगतान को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हुई थी। लेखक ने अपनी आर्थिक स्थिति और रॉयल्टी न मिलने पर चिंता जताई थी, जिसके बाद पूरे देश के साहित्य प्रेमियों ने उनका समर्थन किया था। इसके बाद, कई नए और बड़े प्रकाशकों ने उनके साथ अनुबंध किया। इसी क्रम में, एक बड़े प्रकाशन समूह ने उनके पिछले कार्यों और आगामी रचनाओं के एवज में उन्हें 30 लाख रुपये की सम्मानजनक राशि प्रदान की।

ये भी पढ़ें: हमेशा के लिए बंद हो गई ‘दीवार की खिड़की’, ज्ञानपीठ से सम्मानित साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का निधन

हिंदी लेखकों के लिए एक नई उम्मीद

हिंदी पट्टी में यह धारणा रही है कि कविता और कहानी लिखकर घर चलाना मुश्किल है। विनोद कुमार शुक्ल को मिली यह राशि इस मिथक को तोड़ती है। यह न केवल उनकी साधना का प्रतिफल है, बल्कि इस बात का भी संकेत है कि अब भारतीय प्रकाशक भी वरिष्ठ लेखकों की बौद्धिक संपदा का उचित मूल्य समझने लगे हैं।

Vinod kumar shukla passed away when he got rs 30 lacs in royalty for a book

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Published On: Dec 23, 2025 | 06:36 PM

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